बिहार: ऊर्दू की तरक्की के खिलाफ़ साजिश, TED उर्दू शिक्षकों की लगातार हो रही अंदेखी, हक़ मांगने पर मिल रही पीटाई!

बिहार राज्य की द्वितीय भाषा उर्दू होने के बावजूद भी उर्दू के साथ नाइंसाफी बढ़ती जा रहा है । एक तरफ बिहार सरकार उर्दू की तरक्की की बात करती है, तो दूसरी तरफ पर्दे की आड़ में उर्दू शिक्षकों पर लाठीचार्ज करवाती है , जो सरासर जुल्म है । और उर्दू जानने वालों के दरमियान शदीद नाराजगी पाई जा रही है।

यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष मुफ्ती हसन रजा अमजदी ने कहा कि आज 5 साल से 12 हज़ार उर्दू TET उम्मीदवार सड़कों पर जिंदगी गुजार रहे हैं ।और फरियाद कर रहे हैं , लेकिन उनकी फरियाद सुनने वाला कोई नहीं। जब यह उम्मीदवार इंसाफ के लिए खामोश प्रदर्शन कर रहे थे तब पुलिस ने उन पर लाठी चार्ज कर दिया और दर्जनों उर्दू शिक्षक जख्मी हुए और कई एक की स्थिति चिंताजनक है ।

बिहार सरकार उनके इलाज के लिए मुफ्त सुविधा उपलब्ध कराएं,वरना हम इससे भी बड़ा प्रदर्शन करेंगे और हक हकूक के लिए खामोश नहीं बैठ सकते ।

इस पूरे मामले में मुस्लिम रहनुमाओं, उर्दू के झूठे मसीहाओं की चुप्पी हज़म नहीं हो रही है। एक तरफ यही लोग उर्दू जबान की तरक्की के लिए बड़े बड़े दावे करते हैं ,और दूसरी तरफ मुजरिमाना खामोशी इख्तियार करते हैं , जो पूरी उर्दू आबादी के लिए निहायत अफ़सोस नाक है ।

जब T.E.T का रिजल्ट दिया गया और मैरिट लिस्ट में नाम भी आ गया तो किस क़ानून के तहत 12 हज़ार अभ्यर्थियों को फेल क़रार दिया गया ।

सुप्रीम कोर्ट के अनुसार बिहार बोर्ड ने हाईकोर्ट के जनरल एडवोकेट से राय मंगवा लिया । और यह राय लगभग 10 महीना पहले ही आ गई तो रिज़ल्ट जारी करने में आख़िर क्यों ताख़ीर की जा रही है ।

पूरे हिंदुस्तान में मैरिट लिस्ट में नाम आने के बाद कहीं भी किसी अभ्यर्थी को फेल नहीं किया गया तो आखिर बिहार राज्य में उर्दू शिक्षकों के साथ राजनीति खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है । हालांकि मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री ने उम्मीदवारों के रिजल्ट जारी करने का आश्वासन दिया था।

और एसेंबली स्पीकर विजय चौधरी ने भी यह कहा था कि हाईकोर्ट के अधिवक्ता की सलाह को देखते हुए रिजल्ट जारी किया जाए। और यह मसला असेंबली में भी पूरे जोर शोर के साथ उठाया गया था तो अब बिहार बोर्ड को किस बात का इंतजार है और रिजल्ट जारी क्यों नहीं किया जा रहा है ।

जबकि संघ के प्रवक्ता मेहंदी हुसैन अंसारी ने कहा कि मुस्लिम नेताओं के खामोशी इख्तियार करने की वजह से हमारी यूनियन साड़ी और चूड़ी का इंतजाम कर रही है । और बहुत जल्द उर्दू के झूठे मसीहाओं और मुस्लिम रहनुमाओं को पेश किया जाएगा । और उन्हें बताया जाएगा कि आप हमारी रहनुमाई के लायक़ नहीं बल्कि साड़ी और चूड़ी पहन कर आप अपने घरों की ज़ीनत बनें।

और बिहार सरकार बिहार बोर्ड के उच्च अधिकारी हरगिज़ यह न समझे कि पुलिस के लाठी चार्ज करने की वजह से हम खामोश हो जाएंगे ।बल्कि हम अपने इस अभियान को जारी रखेंगे ,और जब तक हमारे हक और हुकुक़ हमको नहीं मिलेंगे उस वक्त तक हम हरगिज चुप नहीं बैठ सकते हैं।

जबकि हाफिज अब्दुल मोबिन अंसारी ने कहा कि 11 माह पूर्व जनरल अधिवक्ता के दिए गए मशवरे पर अमल करके दोबारा रिजल्ट जारी करने में बिहार सरकार को क्या दुश्वारी और किस तरह की परेशानी है।बिहार सरकार अपना ख्याल जाहिर करे।
क्योंकि सैकड़ों अभ्यर्थियों की आयु सीमा खत्म हो रही है और वह दर-दर भटक रहे हैं ।

उर्दू की तरक्की का अंजुमन बनाने वाले ,और फरोग़े उर्दू के नाम पर हुकूमत से मलाई खाने वाले ,और उर्दू की तरक्की व तरवीज के नाम पर एकेडमी के लाखों रुपए चबाने वाले मसनदे सदारत पर बैठकर अपना उल्लू सीधा करने वाले मसीहा क्यों गूंगे हो गए हैं । ऐसा लगता है कि उन्हें जमीन ने पकड़ लिया है , या फलक ने उठा लिया है उनकी खामोशी चिंताजनक है।

बिहार, पूर्वी चम्पारण से अनिसुर्हमान की रिपोर्ट