बिहार के 14 जिलों में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है। बाढ़ का पानी नए क्षेत्रों में प्रवेश कर रहा है, हालांकि राहत की बात है कि बुधवार को कोसी और गंडक के जलस्तर में कमी देखी गई। इस बीच बाढ़ की चपेट में आने से मरने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। राज्यभर में बाढ़ से मरने वालों की संख्या बढ़कर 72 हो गई है, जबकि राज्य की करीब 73 लाख की आबादी बाढ़ की चपेट में है। सरकार भले ही राहत और बचाव कार्यो का दावा कर रही हो, परंतु कई सुदूरवर्ती क्षेत्रों में अभी भी राहत कार्य प्रारंभ नहीं हो सका है।
राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के नियंत्रण कक्ष के मुताबिक, बिहार के पूर्णिया, किशनगंज, अररिया, कटिहार, मधेपुरा, सुपौल, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, शिवहर और मुजफ्फरपुर जिलों के साथ अब गोपालगंज जिले के भी कई क्षेत्रों में बाढ़ का पानी पहुंच गया है। राज्य के 14 जिलों के 110 प्रखंड की 1,151 ग्राम पंचायतों की 73 लाख से ज्यादा की आबादी बाढ़ से प्रभावित है।
बाढ़ की चपेट में आने से मरने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही हैं। पिछले 24 घंटों के दौरान बाढ़ की चपेट में आने से 16 लोगों की मौत हो गई, जिससे बाढ़ से मरने वालों की संख्या 72 तक पहुंच गई है। सबसे ज्यादा 20 लोग अररिया में मरे, जबकि पश्चिम चंपारण में नौ, किशनगंज में आठ, पूर्णिया में पांच, सीतामढ़ी में 11, मधेपुरा में चार, सुपौल में एक, पूर्वी चंपारण में तीन, दरभंगा में चार, मधुबनी में पांच तथा शिवहर में दो व्यक्ति की मौत हुई है।
आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में युद्धस्तर पर राहत और बचाव कार्य चलाए जा रहे हैं। क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सामुदायिक रसोई घर खोले गए हैं, जिसमें लोगों को खाने की व्यवस्था की गई है।
उन्होंने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से करीब 2.74 लाख लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है तथा इन क्षेत्रों में 504 राहत शिविर खोले गए हैं, जिसमें करीब 1़16 लाख लोग शरण लिए हुए हैं। इनके लिए भोजन आदि की व्यवस्था की जा रही है।
बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव कार्य में बुधवार को राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की चार और टीमों ने मोर्चा संभाल लिया है। बाढ़ राहत कार्य में अब एनडीआरएफ की कुल 27 टीमों के अलावा एसडीआरएफ की 16 टीमें तथा सेना के 630 जवान और अधिकारी लगे हुए हैं।
इधर, आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने बुधवार को बाढ़ प्रभावित जिलों के जिला अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बाढ़ बचाव एवं राहत कार्य की समीक्षा की तथा कई आवश्यक निर्देश दिए।
पटना स्थित बाढ़ नियंत्रण कक्ष के मुताबिक, बिहार की कई प्रमुख नदियां अभी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। हालांकि राहत वाली बात है कि कोसी और गंडक के जलस्तर में कमी देखी जा रही है।
नियंत्रण कक्ष में प्रतिनियुक्त सहायक अभियंता शेषनाथ सिंह ने बुधवार को आईएएनएस को बताया, “वीरपुर बैराज में कोसी नदी का जलस्तर घटकर 1.64 लाख क्यूसेक हो गया है, जबकि वाल्मीकिनगर बैराज में गंडक का जलस्तर भी घटकर 1.66 लाख क्यूसेक तक पहुंच गया है. दोनों नदियों के जलस्तर में कमी होने की संभावना है।”
नियंत्रण कक्ष में प्रतिनियुक्त सहायक अभियंता शेषनाथ सिंह ने बुधवार को आईएएनएस को बताया, “वीरपुर बैराज में कोसी नदी का जलस्तर घटकर 1.64 लाख क्यूसेक हो गया है, जबकि वाल्मीकिनगर बैराज में गंडक का जलस्तर भी घटकर 1.66 लाख क्यूसेक तक पहुंच गया है. दोनों नदियों के जलस्तर में कमी होने की संभावना है।”
इधर, बागमती नदी डूबाधार, चंदौली, सोनाखान, ढेंग और बेनीबाद में जबकि कमला बलान नदी झंझारपुर और जानकीबियर क्षेत्र में खतरे के निशान को पार कर गई है। अधवारा समूह की नदियां भी कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. महानंदा ढेंगराघाट और झाबा में लाल निशान के ऊपर बह रही है।
बाढ़ के कारण कई प्रखंडों का सड़क सपंर्क जिला मुख्यालयों से कट गया है। सड़कों पर बाढ़ का पानी बह रहा है। यही हाल कई रेल मार्गो का भी बना हुआ है। बाढ़ प्रभावित कई जिलों में बाढ़ का पानी रेल पटरी और स्टेशनों तक चढ़ गया है, इस कारण कई ट्रेनों को या तो रद्द कर दिया गया है या उनके मार्गो में परिवर्तन कर चलाया जा रहा है।