पटना: बिहार में शिक्षा व्यवस्था एक बार फिर मजाक का केंद्र बना हुआ है, जहां ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर (बीडीओ) द्वारा शिक्षकों को यह आदेश दिया गया कि ओडीएफ मुहिम के तहत उन्हें ऐसे लोगों का तस्वीर लेना है जो खुले में शौच करते हैं।
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दरअसल मामला यह है कि औरंगाबाद जिला प्रशासन ने यह निर्णय लिया था कि पवई पंचायत को ओडीएफ मुहिम के तहत 31 दिसंबर, 2017 तक खुले में शौच से मुक्त करना है। इसे पूरा करने के लिए प्रशासन ने 61 प्राइमरी और मिडिल स्कूल के शिक्षकों को यह आदेश दिया कि उन्हें ऐसे लोगों के तस्वीर लेने हैं जो खुले में शौच जाते हैं।
इस मुहिम को 18 नवंबर से शुरू की गई। वहीं मुजफ्फरनगर में भी कुंडी ब्लॉक प्रशासन ने इस काम में 144 शिक्षकों को नियुक्त किया है। जबकि मामले में टीचर्स एसोसिएशन ने कहा है कि वे ओडीएफ की मुहिम का समर्थन करते हैं, लेकिन उनके निर्देश को पूरा कर पाना शिक्षकों के लिए खासा मुश्किल हैं। क्योंकि इससे शिक्षकों का अपमान होगा और ये शिक्षकों की सुरक्षा के लिहाज से भी असुरक्षित है।
वहीँ इस मामले को लेकर बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ (बीएमएसएस) जनरल सेक्रेटरी और पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखित में इसकी जानकारी दी है। उनका मांग है कि इस आदेश को वापस लिया जाए। जिसमें शिक्षकों को सुबह-शाम खुले में शौच करने वालों की तस्वीर खींचनी है।
बता दें कि बिहार में ओडीएफ मुहिम के तहत शिक्षकों को पढ़ाई के साथ-साथ खुले में शौच करनेवालों पर भी नजर रखने को कहा गया है। इसमें सुबह और शाम शिक्षकों की ड्यूटी होगी। आदेश के तहत शिक्षकों को निर्देश दिया गया है कि वे सुबह 5 बजे और शाम 4 बजे रोजाना खुले में शौच जाने वाले लोगों पर निगरानी रखेंगे। तस्वीर खिंच कर उच्च अधिकारियों को भेजेंगे।