बिहार की नीतीश सरकार में पिछले कुछ महीनों में जिस तरह के मामले सामने आ रहे हैं उससे यह सवाल उठने शुरु हो गए हैं कि क्या बिहार में कानून का राज बचा है या नहीं।
भीड़ द्वारा हिंसा के मामले कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। शुक्रवार की सुबह मोतिहारी स्थित केंद्रीय विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के सहायक प्रोफेसर संजय कुमार पर भीड़ ने जानलेवा हमला कर दिया।
दरअसल प्रोफेसर संजय कुमार ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर टिप्पणी की जिसमें उन्होने इसे एक फासीवादी युग का अंत बताया था।
इसके बाद उनको धमकियां मिलने का दौर शुरु हो गया. यही नहीं भीड़ ने उन्हें जिंदा जलाने की कोशिश की। उन्हें मोतिहारी से पटना एम्स में भर्ती कराया गया जहां उनकी हालत नाजुक बताई जा रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मामले में अभी तक पुलिस ने एफआईआर तक दर्ज नहीं की। संजय कुमार जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं।
उनके सहकर्मी मृत्युंजय ने मीडिया बताया कि सुबह उनके फोन पर एक व्हाट्सअप मैसेज आया था, जिसमें उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई। मृत्युंजय ने बताया कि सुबह करीब 11-12 लोगों की भीड़ ने संजय के घर पर दावा बोल दिया।
वे लोग संजय को पीटते हुए उन्हें घसीटते हुए नीचे लाते हैं। लोगों ने उनके सारे कपड़े फाड़ दिए और फिर उनके ऊपर पेट्रोल डालकर उन्हें जलाने की कोशिश की गई। इस पूरी घटना के चश्मदीद गवाह मृत्युंजय ने बताया कि बहुत मुश्किल से किसी तरह से संजय कुमार को वहां से निकालकर ये लोग अस्पताल पहुंचाने में सफल हुए।
मोतीहारी स्थित सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ बिहार के टीचर्स एसोसिएशन ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। एसोसिएशन ने कहा कि यह सब एक सुनियोजित साजिश के तहत किया गया है और इसमें हमलावरों को विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर की शह भी हो सकती है।
पीड़ित प्रोफेसर संजय कुमार की ओर से पुलिस में जो शिकायत पत्र दिया गया है उसमें उसमें राहुल आर पांडेय, संजय कुमार सिंह, अमन बिहारी वाजपेयी सहित कई लोगों के नाम दर्ज हैं। प्रमाण के तौर पर व्हाट्सअप पर आए धमकी वाले मैसेज को भी पुलिस को सौंप दिया गया है।