बिहार के मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में नाबालिग बच्चियों के साथ कथित यौन उत्पीड़न का मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर दैनिक हिंदी अखबार का मालिक भी था। उसके अखबार का नाम प्रात: कमल था, जिसकी रोज सिर्फ 300 कॉपियां ही छपा करती थीं।
लेकिन उसने अपने अखबार की प्रसार संख्या 60,862 कॉपियां दिखा रखी थीं। सूत्रों के मुताबिक, दैनिक, प्रात: कमल को बिहार सरकार से सालाना 30 लाख रुपये का विज्ञापन मिला करता था।
पुलिस ने बताया कि ठाकुर के पास न तो पर्याप्त स्टाफ था और न ही अच्छी प्रिटिंग मशीन थी, जिससे वह इतनी बड़ी संख्या में अखबार छाप सकता था। बिहार पुलिस इस मामले को अब सीबीआई के सुपुर्द कर चुकी है।
पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है,” ठाकुर के समाचार पत्र की बमुश्किल 300 कॉपियां ही छापी जाती हैं।” हालांकि राज्य सूचना और जनसंपर्क विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, समाचार पत्र का रोज का सर्कुलेशन 60,862 कॉपी रोज का है।
पुलिस के मुताबिक,जब ठाकुर से उसके अखबार की 60,000 प्रति रोज की प्रसार संख्या होने के दावों के बारे में पूछा गया तो उसने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी पड़ताल में पाया कि मौके पर सिर्फ एक कंप्यूटर आॅपरेटर, समाचार संपादक और ठाकुर की बेटी अंकिता आनंद ही कार्यालय में काम कर रहे थे। तीनों प्रकाशन उसी परिसर में छापे जाते थे, जिसमें शेल्टर का संचालन किया जा रहा था।
मुजफ्फरपुर में समाचार पत्रों के एजेंट रतन झा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ”मैं मुजफ्फरपुर और उत्तरी बिहार के अन्य हिस्सों में सालों से हिंदी और अंग्रेजी के डेली अखबारों को सालों से बेच रहा हूं।
मुझे आज तक कोई ग्राहक नहीं मिला जिसने प्रात: कमल अखबार की मांग की हो, न ही हमने कभी इसे किसी न्यूज पेपर स्टैंड पर बिकते हुए देखा है। एक सूत्र ने कहा, ”ठाकुर के दफ्तर के लोग ही सुबह अखबार की प्रतियां सभी सरकारी कार्यालयों और उन कार्यलयों में जाने वाले कुछ लोगों को ही ये अखबार पढ़ने के लिए मिला करता था।
साभार- ‘जनसत्ता’