पाकिस्तान के हिंदू सांसद डॉ. रमेश कुमार वांकवानी ने जबरन धर्मांतरण और बाल विवाह पर संसद में दो बिल पेश किए। इनमें बाल विवाह को संज्ञेय अपराध घोषित करने जबकि जबरन धर्मांतरण में शामिल लोगों के लिए न्यूनतम पांच साल व अधिकतम आजीवन कारावास का प्रस्ताव है।
A Hindu lawmaker in Pakistan has moved two Bills in Parliament seeking enhancement of punishment for those involved in forced conversion and for making child marriage a cognizable offence. https://t.co/83FZitrxLn
— The Hindu (@the_hindu) March 27, 2019
सिंध प्रांत में दो नाबालिग हिंदू लड़कियों के अपहरण और जबरन धर्मांतरण का मामला सामने आने के बाद उपजे बवाल के बीच यह बिल पेश किए गए हैं।
Bill against child marriage and forced conversion moved in Pakistan Parliament https://t.co/x5S883gDXi pic.twitter.com/asg5kkD1TS
— The Siasat Daily (@TheSiasatDaily) March 28, 2019
सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेता डॉ. वांकवानी ने मंगलवार को नेशनल असेंबली में बाल विवाह निरोधक अधिनियम (संशोधन) विधेयक 2019 और आपराधिक कानून (अल्पसंख्यकों का संरक्षण) अधिनियम 2019 प्रस्तुत किया।
पाकिस्तानी समाचार पत्र डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, ये बिल दो हिंदू लड़कियों के कथित अपहरण और इस्लाम में उनके जबरन धर्म परिवर्तन के मद्देनजर सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के अल्पसंख्यक सांसदों के समर्थन के साथ पेश किए गए।
अल्पसंख्यक सांसदों ने ऐसी घटनाओं की जबरदस्त निंदा की और प्रस्ताव को अपनी हामी दी। वांकवानी के अलावा, पीटीआई विधायक लाल माली और शुनीला रूथ, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के सांसद डॉ. दर्शन और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के रमेश लाल ने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए।
पांच-सूत्रीय प्रस्ताव में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ बिल को तत्काल पारित करने का आह्वान किया गया है, जिसे 2016 में सिंध विधानसभा द्वारा सर्वसम्मति से पारित किया गया था। हालांकि चरमपंथी तत्वों के दबाव के कारण अन्य विधानसभाओं में इसे पेश नहीं किया जा सका था।
अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, दोषी पाए जाने वालों को न्यूनतम पांच साल की कैद और अधिकतम जीवन कारावास, पीड़ित को हर्जाना। धर्म की आड़ में नफरत फैलाने वालों पर प्रतिबंधित धार्मिक संगठनों की तरह कार्रावाई हो।
सरकारी, पुलिस और न्यायिक सेवा से जुड़े अधिकारियों को अधिक संवेदनशील बनाने का सुझाव। सुनवाई के लिए विशिष्ट अदालतों की स्थापना। 18 साल के होने तक धर्मांतरण पर रोक। नाबालिग द्वारा दूसरा धर्म अपनाने के दावों पर कोई कार्रवाई नहीं हो।