सांप्रदायिकता के ख़िलाफ़ पश्चिम बंगाल विधानसभा में प्रस्ताव पारित

\विधानसभा में शुक्रवार को परस्पर विरोधी दल तृणमूल कांग्रेस व माकपा-कांग्रेस ने परस्पर विरोध भूल कर नियम 185 के तहत सांप्रदायिकता के खिलाफ लाये गये प्रस्ताव का समर्थन किया और प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित हो गया।

विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान ने राज्य के संसदीय मंत्री पार्थ चटर्जी व माकपा विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती के साथ संयुक्त रूप से प्रस्ताव लाया, जिसे श्री मन्नान ने विधानसभा में पेश किया और बहस के बाद ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।

वक्ताओं ने भाजपा पर जम कर हमला बोला। प्रस्ताव पर हुई बहस में भाग लेते हुए राज्य के शहरी विकास मामलों के मंत्री फिरहाद हकीम ने कहा कि बंगाल में रामकृष्ण परमहंस, रवींद्रनाथ टैगोर व नजरूल की संस्कृति है। इस मिट्टी में सांप्रदायिकता का कोई स्थान नहीं है, लेकिन सांप्रदायिक दल द्वारा राज्य की संस्कृति पर आघात करने की कोशिश की जा रही है।

इसे लेकर सचेत रहने की जरूरत है। बशीरहाट में दंगा फैलाने की कोशिश की गयी तथा यह प्रचारित किया गया है कि वहां दंगा हुआ था,लेकिन बशीरहाट में कोई भी सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ था, लेकिन यह गौ तस्करों के बीच की आपसी लड़ाई थी और केंद्र सरकार ने बांग्लादेश की सीमा को खोल दिया, जिससे यह स्थिति उत्पन्न हुई।

उन्होंने कहा कि उन लोगों के डीएनए में दंगा है ही नहीं। वास्तव में कुछ लोग हैं, जो शार्ट टर्म की राजनीति कर रहे हैं और उसका लाभ आरएसएस उठा रहा है। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान भी उनके बयान को गलत ढंग से पेश कर उन पर कीचड़ उछाले गये।

उन्होंने सवाल किया कि उनका भी इसी मिट्टी में ही जन्म हुआ है, तो फिर उन्हें ही क्यों बार-बार परीक्षा देनी होती है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी धर्मनिरपेक्षता को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर लड़ाई कर रही है। सभी राजनीतिक दल उनका समर्थन करें।

राज्य के संसदीय मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि सांप्रदायिकता के खिलाफ सभी को एकजुट होना होगा। माकपा विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि पश्चिम बंगाल की मिट्टी में सांप्रदायिकता का कोई स्थान नहीं है, लेकिन राजनीति के लिए जिस तरह से भाजपा की अप्रत्यक्ष रूप से मदद ली जा रही है।

उससे सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई कमजोर होती है। विधानसभा में विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान ने कहा कि फिलहाल देश के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती सांप्रदायिकता है। एक राजनीतिक दल सांप्रदायिक विभेद पैदा करने व लोगों को उकसाने की कोशिश कर रहा है।