VIDEO: परवीन शाकिर, छोटी सी जिंदगी में उर्दू अदब में पहचान बनाने वाली शायरा

परवीन शाकिर का जन्म 24 नवम्बर 1952 में केरांची में हुआ और वो कम उम्र में ही शोहरात हासिल करने में कामयाब रहीं जो बहुत कम लोगों को हासिल होती है

कुबक फैल गई बात शानासाई की

उसने खुशबू की तरह मेरी पज़ीरायी कि

YouTube video

परवीन शाकिर को ऐसी शायरा में शुमार किया जाता है जिन्होंने अपनी कविता में वो सब बेबाकी से बयां किया जो उन्होंने अपनी जिंदगी में महसूस किया और सहा। उनका सबसे पहला ग़जलों और नज्मों का संग्रह ख़ुशबू (1976) तब प्रकाशित हुआ जब वो 24 वर्ष की थीं।

परवीन शाकिर ने अंग्रेजी में स्नात्कोत्तर किया । नौ साल तक वो काँलेज में शिक्षिका रहीं। पढ़ने-लिखने में इनकी काबिलियत का आलम ये था कि 1986 में जब पहली बार पाकिस्तान सिविल सर्विसेज की परीक्षा में बैठीं तो चुन ली गईं। मजे की बात ये रही कि उस इम्तिहान में एक सवाल इनकी कविता से भी पूछा गया था।

ग़जल में तो हमेशा से प्रेम, वियोग, एकाकीपन, उदासी, बेवफ़ाई, आशा और हताशा से जुड़ी भावनाओं को प्रधानता मिली है। काव्य समीक्षकों का ऐसा मानना है कि परवीन शाकिर ने ना केवल अपनी ग़जलों और नज्मों में इन भावनाओं को प्रमुखता दी , बल्कि साथ साथ इन विषयों को उन्होंने एक नारी के दृध्टिकोण से देखा जो तब तक उर्दू कविता में ठीक से उभर के आ नहीं पाया था। परवीन, नाज़ुक से नाज़ुक भावनाओं को सहजता से व्यक्त करना बखूबी जानती थीं।

जो शख़्स तीस वर्ष  की उम्र के पहले ही सेलीब्रेटी का दर्जा पा चुका हो उसकी जिंदगी में खुशियों की क्या कमी । लेकिन परवीन शाकिर की कम उम्र में इतनी तरक्की पा कर भी अपनी निजी जिंदगी में उन्हें काफी निराशा हाथ लगी थी। ग़म और खुशी का ये मिश्रण उनकी लेखनी में जगह-जगह साफ दिखाई पड़ता है।