नई दिल्ली: भूमि संशोधन कानून के विरोध में झारखंड से दिल्ली पहुंचे आदिवासियों ने दिल्ली के जंतर-मंतर तक मार्च किया। आदिवासियों के इस मार्च में शामिल झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता व पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार साजिश के तहत आदिवासियों के अस्तित्व को मिटाना चाहती है। इस मार्च में कई राजनीतिक दलों के नेता भी शामिल हुए।
इस दौरान आदिवासियों ने कहा कि यह सरकार जनविरोधी है और मांग की कि छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट (CNT) संथाल परगना टेनेंसी एक्ट (SPT) में हुए संशोधन कानून को तुरंत वापस ले।
हेमंत सोरेन ने कहा, “आदिवासियों और मूलवासियों की रक्षा के लिए इस कानून को बनाया गया है, राज्य सरकार साजिश कर आदिवासियों के अस्तित्व को मिटाने पर तुली हुई है।” उन्होंने आरोप लगाया कि कानून में बदलाव कर के सरकार उद्योगपतियों को लाभ पहुँचाना चाहती ही।
झारखंड में आजादी के बाद कई बड़े बड़े उद्योग तो लग गए, लेकिन बड़े पैमाने पर दर-बदर हुए आदिवासी आज भी ज़मीन की लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि कानून में संशोधन को हम स्वीकार नहीं करेंगे। इस के खिलाफ लड़ाई लड़ते रहेंगे।
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कहा कि राज्य की 30 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन गुजार रही है, ऐसे में आदिवासियों की रक्षा के लिए बनाये गए कानून में बदलाव की जरूरत नहीं है।
आपको बता दें कि CNT-SPT एक्ट आदिवासियों की भूमि प्रदान करने के लिए बनाया हुआ एक कानून है। बिरसा मुंडा और सिदो-कान्हू के संघर्ष के बाद यह कानून लागू किया गया था। लेकिन बीते 3 मई को इस कानून में संशोधन का प्रस्ताव झारखंड कैबिनेट की बैठक में पास किया गया था। इन दोनों प्रावधानों में संशोधन के तहत जमीन मालिक को अपनी भूमि में परिवर्तन का अधिकार मिलेगा।