नई दिल्ली: वरिष्ठ पत्रकार और सोशल एक्टिविस्ट गौरी लंकेश की हत्या के लिए वामपंथी राजनीतिक दलों ने बीजेपी और आरएसएस को जिम्मेदार ठहराया है।
उनका कहना है कि लंकेश की हत्या और उससे पहले तर्कवादी सोच रखनेवाले नरेंद्र दाभोलकर, गोविंद पानसरे और एम. एम. कलबुर्गी की हत्या कर असहमति और विरोध के स्वरों को कुचला जा रहा है।
इस हत्या की निंदा करते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने देश में बढ़ रही असहिष्णुता और नफरत ’ के खिलाफ एक मजबूत विरोध प्रदर्शन करने और इसके लिए लोकतांत्रिक ताकतों का आह्वान किया।
माकपा का कहना है कि गौरी लंकेश की हत्या बीजेपी और आरएसएस की विचारधारा के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने वालों को खामोश कर देने की पद्धति को दर्शाता है।
बयान में कहा गया है कि पानसरे, दाभोलकर, कलबुर्गी और गौरी लंकेश की हत्या में समानता है। “वे सभी अंधविश्वास, असहिष्णुता और दक्षिणपंथी हिंदूवादी संगठनों के सांप्रदायिक एजेंडे का खुलकर विरोध करते हैं और निडर होकर उनके सच को जनता के सामने रखते थे।
इस मामले में टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लंकेश की हत्या पर चिंता जाहिर करते हुए न्याय की मांग की है।
ममता बनर्जी ने ट्वीट किया, “बेंगलुरू में पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या से मैं बहुत दु:खी हूं। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, हम न्याय चाहते हैं।”
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) की ओर से जारी बयान में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने कहा कि यह हमारे लोकतंत्र के लिए एक बहुत ही दुखद क्षण है और असहिष्णुता और कट्टरता हमारे समाज में बढ़ रही है।
ऐसा नहीं होना चाहिए और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।
वहीँ कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा “जो कोई भी भाजपा के खिलाफ बोलता है, उसे चुप करा दिया जाता है। लोग कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री चुप हैं और उन्होंने कुछ भी नहीं कहा है।
उन्होंने कहा कि सामान्य नागरिकों की आवाज को दबाना और विरोध के स्वर को खामोश कर देना मोदी सरकार के तहत ‘न्यू इंडिया’ का नारा है।