नई दिल्ली: भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने वज़ीर आज़म नरेंद्र मोदी को ख़त लिख कर 3 तलाक़ और एक से ज़ायद शादी पर पाबन्दी लगाने का मुतालबा किया| उन्होंने ये भी मुतालबा किया शादियों के लिए रजिस्ट्रेशन को ज़रूरी बनाया जाए|
BMMA ने ख़त में ये भी दावा किया कि, उनको क़ुरान ने दिए गये हुकूक से भी महरूम रखा गया है| उन्होंने ये भी दावा किया कि, मुस्लिम ख़वातीन के इन्साफ और बराबरी के हुसूल के वक़ार को महफूज़ रखने के लिए ये पाबंदी जरूरी है| BMMA ने ये भी कहा कि, 1985 के शाहबानो केस के बाद मुल्क की सियासत की वजह से मुस्लिम ख़वातीन की कोई सुनवाई नहीं हुई |
क़दामतपसंदी पर हमला करते हुए, BMMA ने कहा कि, मुस्लिम ख़वातीन के हुकूक पर हुई बहस में हमेशा ग़ालिब रहते हुए उन्होंने मुस्लिम पर्सनल लॉ में होने वाली तमाम इसलाहत को मुस्तारिद किया है जिसके नतीजे के तौर पर मआशरे में दूसरी शादी और 3 तलाक़ जैसे वाक़ेआत पेश आये हैं |
हाल ही में सुप्रीमकोर्ट के जजों अनिल दवे और आदर्श कुमार गोयल ने सनफी इम्तियाज़ का सामना कर रहीं मुस्लिम ख्वातीन के बारे में भारत की नेशनल लीगल सर्विस अथारिटी से जवाब तलब किया था | उन्होंने कहा कि, ये भारत के आईन के दफ़आ 14 ,15 और 21 के तहत जो बुनयादी हुक़ूक़ दिए गये हैं उनकी ख़िलाफ़ वर्जी है |
उन्होंने कहा कि, शरीअत ऐप्लिकेशन एक्ट 1937 और मुस्लिम मेरिज एक्ट 1939 में तरमीम करते हुए मुस्लिम पर्सनल लॉ को मुकम्मल तौर पर नये तरीक़े से नाफ़िज़ किये जाने की ज़रुरत है | उन्होंने ये भी कहा कि शादी के वक़्त लड़की की उम्र 18 साल और लड़के की उम्र 21 साल होनी चाहिए और शादी दोनों की रजामंदी से होनी चाहिए| उन्होंने मजीद कहा की एक से ज़ायद शादी पर भी पाबंदी होनी चाहिए |
ख़त की कापियां वज़ीर क़ानून सदानन्द गौड़ा ,अकलियती आमूर के वज़ीर मुम्लीकत मुख़्तार अब्बास नक़वी, क़ौमी हुक़ूक़ ख़वातीन कमीशन, भारत के लॉ कमीशन को भी भेजी गयी हैं |