मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कल डॉक्टरों के एक पैनल की रिपोर्ट के आधार पर 16 वर्षीय बलात्कार पीड़िता को गर्भपात की इजाजत नहीं दी। जो कि बीस हफ्ते की गर्भवती है। जस्टिस रंजीत मोरे की अध्यक्षता वाली पीठ ने लड़की के पिता की इस याचिका को खारिज कर दिया, जिसने लड़की की तरफ से गर्भपात की मांग की।
मुंबई के प्रसिद्ध सरकारी के इ एम अस्पताल और जीएस मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की रिपोर्ट में यह कहा गया है कि अगर अभी लड़की की गर्भपात होता है, तो उनकी जान को खतरा है।
अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह डाक्टरों के सलाह के खिलाफ नहीं जा सकता है क्योंकि 20 सप्ताह के गर्भ का गर्भपात करने से माँ की जिंदगी के लिए खतरा पैदा हो सकती है। डाक्टरों का कहना है कि लड़की अगर अपनी गर्भावस्था का समय सीमा पूरी करती है, तो उसके जिंदगी को कोई जोखिम नहीं होगा।
सुनवाई के दौरान लड़की के वकील ने लड़की के अधिकारों का हवाला देते हुए यह भी तर्क दिया कि लड़की को इस बात का हक हासिल है कि वह नाबालिग़ होते हुए भी बच्चे की पैदाइश करे।
वहीँ लड़की के पिता ने दावा किया कि गर्भावस्था के कारण लड़की के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच सकती है। उन्होंने कहा कि एनीमिया के कारण लड़की की स्वास्थ्य बेहतर नहीं है। जिसके कारण खून की भी कमी हुई है। जबकि बलात्कार के कारण गर्भ ठहर जाने से मानसिक और शारीरिक पीड़ा का शिकार है।
उल्लेखनीय है कि ठाणे में दर्ज शिकायत के अनुसार, अगस्त में, एक स्थानीय डिलीवरी ब्वाय ने एक लड़की से शादी करने का वादा करके उसके साथ जिस्मानी संबंध बनाया था। लेकिन बाद में आरोपी लड़का फरार हो गया और जांच के बाद लड़की की गर्भवती होने का पता चला।