शम्स तबरेज़, सियासत ब्यूरो।
अमेरिकी खुफिया एजेण्सी सीआईए ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानि आरएसएस से जुड़ा एक चौकाने वाला खुलासा किया है।
सीआईए ने इण्टरनेट पर किए गए सार्वजनिक दस्तावेज के अनुसार भारत की आज़ादी के लगभग तीन साल बाद 1950 में पहले फिल्ड मार्शल जनरल करियप्पा को जान से मारने का प्रयास किया गया था। जनरल करियप्पा को 15 जनवरी 1949 में ब्रिटिश सैन्य जनरल रॉय बुचर से सेना प्रमुख का दायित्व मिला।
इस रिपोर्ट में ये खुलासा किया गया गया है कि करियप्पा जब पूर्वी पंजाब के दौरे पर गए तब उनकी हत्या का प्रयास किया गया था। सीआईए की डिक्लासिफाइड रिपोर्ट “रिफ्ट इन ऑफिसर्स कॉर्प ऑफ द इंडियन आर्मी”(भारतीय सेना के अफसर कॉर्प में मतभेद) नामक ये रिपोर्ट 12 जून 1950 को दर्ज की गयी थी। ये जानकारी इस दस्तावेज के माध्यम से पहली बार सार्वजनिक हुई है। सीआईए की इस रिपोर्ट में पहली बार इसका खुलासा हुआ है कि भारतीय सैन्य प्रमुख की हत्या की साजिश करने के आरोप में 6 लोगों के मौत की सजा दी गई थी। माना जा रहा है कि कई बड़े अफसर इस साजिश में शामिल थे। जनरल करियप्पा दक्षिण भारतीय थे, इसलिए उत्तर भारतीय सेना के अफसर उनसे नाखुश थे। सेना के अफसरो के बीच आरएसएस उत्तर—दक्षिण के इसी विभेद का लाभ उठया और सिक्ख अफसरों को, जो खबरी की नजर में धोखेबाज और भरोसा करने लायक नहीं, को असंतोष भड़काने के लिए उकसा रहा है। त्रावणकोर (मौजूदा केरल), मद्रास और महाराष्ट्र के अफसर जनरल करियप्पा के प्रति वफादार हैं।”
अमेरिकी सरकार के 1995 के एक्जिक्यूटिव आदेश के अनुसार डिक्लासिफाइड किए गए हैं। इस कानून के अनुसार ऐतिहासिक रूस से अहम 25 साल या उससे पुराने गोपनीय दस्तावेज सार्वजनिक कर दिए जाते हैं। इसलिए सीआईए ने लगभग 30 लाख गोपनीय दस्तावेजों का सार्वजनिक कर दिया है। भारतीय सेना के इतिहास में अबतक केवल सैम मानेकशॉ और केएम करियप्पा यानि दो सैन्य प्रमुखों को फील्ड मार्शल बनाया है। फील्ड मार्शल जबतक जीवित रहे है तबतक इस पद पर रहते हैं। वो कभी रिटायर नहीं होते। उन्हें विशेष भत्ता, निजी स्टाफ और सचिव दिए जाते हैं।