उत्तरी दिल्ली के संत नगर बुराड़ी इलाक़े में रविवार को 11 लोग संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाए गए. तीन दिन बाद भी मामला सुलझता नज़र नहीं आ रहा है. पुलिस इस मामले की जांच आत्महत्या और हत्या दोनों ही एंगल से कर रही है. इन मौतों को तंत्र-मंत्र से जोड़कर भी देखा जा रहा है. घर से एक डायरी भी मिली है जिसमें मोक्ष जैसी बातें लिखी हुई हैं.
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इस मामले पर पड़ोसियों का कहना है कि परिवार धार्मिक प्रवृत्ति वाला था. इसके अलावा घर में कुछ ऐसी चीज़ें भी मिली हैं जिनसे आत्महत्या का शक़ गहराता है, लेकिन रिश्तेदारों का कहना है कि परिवार ऐसा कर ही नहीं सकता था. ये पूरी तरह हत्या का मामला है.
शवों का पोस्टमॉर्टम हो चुका है और जल्दी ही रिपोर्ट भी आ जाएगी, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर ये मामला आत्महत्या का है तो इस मामले में साइकोलॉजिकल अटॉप्सी से काफ़ी मदद मिल सकती है. मेडिकल की दुनिया में यह शब्द नया नहीं है. आत्महत्या से जुड़े बहुत से मामलों को सुलझाने के लिए साइकोलॉजिकल अटॉप्सी की मदद ली जाती है.
बहुचर्चित सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में भी साइकोलॉजिकल अटॉप्सी की मदद से मौत के कारणों की पड़ताल की गई थी. दरअसल, साइकोलॉजिकल अटॉप्सी के तहत मृतक से जुड़ी चीज़ों का अध्ययन किया जाता है जिसमें मौत की तारीख़ के आस-पास उसके बात-व्यवहार में आए अंतर को समझने की कोशिश की जाती है.
वहीँ एम्स से रिटायर साइकोलॉजी प्रोफ़ेसर मंजू मेहता का कहना है कि सुसाइड के मामलों में साइकोलॉजिकल अटॉप्सी मददगार साबित होती है. साइकोलॉजिकल अटॉप्सी में मृतक से जुड़े बैकग्राउंड की खोजबीन की जाती है. मौत के पहले उसका व्यवहार कैसा था, मौत से पहले किन लोगों से उसने क्या बात की. इन सबके आधार पर मृतक की सोच समझने की कोशिश की जाती है.
बुराड़ी मामले का ज़िक्र करते हुए वो कहती हैं कि इस मामले में साइकोलॉजिकल अटॉप्सी मददगार साबित हो सकती है क्योंकि इसमें एक नोट मिला है और डायरी भी. हालांकि वो मानती हैं कि साइकोलॉजिकल अटॉप्सी द्वारा मौत का कारण समझ सकने की गुंजाइश 50-50 ही होती है, लेकिन अगर मृतक अपने पीछे कोई लिखित नोट छोड़कर गया है तो ये प्रतिशत बढ़ जाता है.
(साभार- बीबीसी)