इस्लाम धर्म अपनाने वाली लड़की की शादी को कोर्ट ने किया रद्द

केरल हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने पिछले हफ्ते एक मुस्लिम दंपति की शादी को सिर्फ इसलिए अमान्य करार दे दिया है क्योंकि दुल्हन के माता-पिता शादी में उपस्थित नहीं थे। अदालत ने केरल पुलिस को 23 वर्षीय अखिला उर्फ हदिया के माता-पिता से इसके लिए इजाजत लेने का आदेश दिया है।

दरअसल, कोर्ट ने यह फैसला एक बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के बाद दिया। यह याचिका हदिया के पिता ने डाला था। हदिया के पिता असोकन ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि उनकी बेटी को एक आतंकवादी समूह ने अपने कब्जे में ले रखा है और वो उसे आईएसआईएस में भर्ती के सीरिया ले जा सकते हैं।

हदिया के पिता ने पहले ही अदालत को सूचित किया था कि उनकी बेटी ने इस्लाम अपना लिया है और बगैर किसी मजबूरी और हस्तक्षेप के घर छोड़ दिया है।

इसके बाद अदालत ने फैसला दिया कि चूँकि लड़की के माता-पिता हदिया के शादी में मौजूद नहीं थे इसलिए यह शादी रद्द किया जाता है।

कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक को यह निर्देश दिया कि शिकायतकर्ता के मामलों को जांच करें और जो मामला मलप्पुरम जिले के पेरिथमलाण्णा और चेरपुलसेरी पुलिस स्टेशनों में दर्ज हुआ है उस पर रिपोर्ट पेश करें।

अदालत ने अपने फैसले में यह कहा है कि धर्मांतरण के संबंध में और इस्लामिक शैक्षणिक संस्था के गतिविधियों के बारे में भी जांच की जानी चाहिए। अदालत ने यह भी आदेश दिया था कि जांच को तत्काल प्रभाव से किया जाना चाहिए और कानून के उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाई किया जाए।

अदालत ने यह भी जांच करने का आदेश दिया था कि क्या उस अधिकारी की तरफ से कोई उल्लंघन हुआ था जिसने इस मामले की पहले जांच की थी। बता दें कि जिस अदालत ने यह फैसला सुनाया है उसी ने पहले इसके लिए जांच अधिकारी नियुक्त किया था। जांच के बाद यह सामने आया था कि शिकायतकर्ता का आरोप निराधार है।

दरअसल, यह मामला साल 2015 में सामने आया था जब अखिला नाम की एक  मेडिकल छात्रा ने इस्लाम से प्रभावित होकर इस्लाम धर्म अपना लिया था। उनके के बाद, उसने अपना नाम ‘हदिया’ रख लिया था। हदिया ने इस्लाम के अध्ययन के लिए अपना घर छोड़ दिया था।

लेकिन इसी दौरान उनके पिता ने अदालत में एक याचिका डाली। इसके बाद कोर्ट के समक्ष उन्हें पेश होना पड़ा। इसके बाद कोर्ट ने उन्हें सामाजिक कार्यकर्ता ए.एस. जैनाबा के साथ जाने की इजाजत दे दी। क्योंकि दोनों व्यस्क थे और दोनों ने अपनी मर्जी से शादी की थी।

इसके बाद एक जांच दल बैठाया गया था जिसमें अपने रिपोर्ट में कहा कि हदिया पर धर्म परिवर्तन के लिए किसी भी तरह का दबाव नहीं बनाया गया था और उसने अपनी मर्जी से जैनबा से शादी की थी।

लेकिन हदिया के पिता ने 2016 में नए सिरे से एक आरोप लगाया कि उनकी बेटी को आईएसआईएस के लिए काम करने वालों ने अपहरण किया और उसके भर्ती के लिए सीरिया ले जाने वाले हैं।

हालांकि मामला जब अदालत में पहुंचा तो पाया गया कि दोनों की मुलाकात एक मेरोटोरियल साइट पर हुई थी और उन्होंने 19 दिसंबर 2016 को शादी कर ली थी। दोनों का निकाह कोट्टाकल के कोत्तक जुमा मस्जिद के काजी ने कराया था और ओथकुंकल के एक रजिस्ट्री ऑफिस में विवाह अधिनियम के तहत रजिस्ट्रेशन हुआ था।

लेकिन आने वाले समय में अदालत ने अजीब तरीके से संदेह व्यक्त किया। इसके बाद खंडपीठ ने इस मामले की एक और जांच का आदेश दे दिया।

साभार: मिल्ली गेजेट