नई दिल्ली : मध्य प्रदेश के उज्जैन में ज्योतिर्लिंग क्षरण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर की कमेटी के सुझाव को मान लिया है। साथ ही कोर्ट पूजा पद्धति में दखल से इनकार किया है। कोर्ट ने मंदिर समिति के उस सुझाव को मान लिया है जिसमे यह कहा गया था कि ज्योतिर्लिंग पर आरओ का पानी चढ़ाया जाए। कोर्ट के निर्देश के बाद ज्योतिर्लिंग क्षरण पर आरओ का ही पानी चढ़ाया जाएगा। साथ ही कोर्ट ने मंदिर के भीतर ज्योतिर्लिंग पर दूध और अन्य पूजन सामग्री भी चढ़ाने की अनुमति दे दी है।
कोर्ट ने कहा कि पूजा कैसे हो ये तय करना कोर्ट का काम नहीं है, हम सिर्फ ज्योतिर्लिंग को नुकसान नहीं पहुंचे इसपर सुनवाई कर रहे हैं। ज्योतिर्लिंग पर हर श्रद्धालु द्वारा चढ़ाए जाने वाले दूध की सीमा को भी तय कर दिया गया है। आपको बता दें कि महाकाल में जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक और पूजन सामग्र चढ़ाने से शिवलिंग को नुकसान हो रहा था। जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मंदिर के तमाम प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। साथ ही इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने निर्देश भी जारी किए है। कोर्ट ने शिवलिंग पर दूध, बेलपत्र और पूजन सामग्री को चढ़ाने के मंदिर समिति के सुझाव को मंजूर कर लिया है।
गौरतलब है कि इससे पहले मंदिर की तरफ से बनाई गई कमेटी से कहा था कि पूजा के दौरान महाकाल पर चढ़ाई जाने वाली कुछ चीजों से शिवलिंग को नुकसान हो रहा है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि पवित्र ज्योतिर्लिंग का जलाभिषेक सिर्फ आरओ के पानी से ही किया जाए।