CBI निदेशक पद से हटाए गए आलोक वर्मा ने का बड़ा बयान – जांच एजेंसी को बर्बाद करने की चल रही साजिश

बीती रात CBI के निदेशक पद से हटाए जाने के बाद आईपीएस अधिकारी आलोक वर्मा ने कहा है कि उन्होंने देश की इस सबसे बड़ी जांच एजेंसी की साख बनाए रखने की कोशिश की. उन्होंने अपनी सफाई में कहा कि उन्हें झूठे आरोपों के आधार पर हटाया गया है. वह चाहते हैं कि शीर्ष जांच एजेंसी बिना किसी बाहरी दबाव के काम करे. मौजूदा समय में CBI की साख को बर्बाद करने की कोशिश की जा रही है. गौरतलब है कि बीती रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने 2-1 के बहुमत से फैसला लेते हुए कथित भ्रष्टाचार के आरोप झेल रहे आलोक वर्मा को पद से हटा दिया.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा बहाल किए जाने के मात्र दो दिन बाद आलोक वर्मा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली समिति ने गुरुवार रात में हुई एक मैराथन बैठक के बाद हटा दिया. एक अभूतपूर्व कदम के तहत भ्रष्टाचार और कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही के आरोपों में सीबीआई निदेशक के पद से हटाया गया. सीबीआई के 55 वर्षों के इतिहास में इस तरह की कार्रवाई का सामना करने वाले जांच एजेंसी के वह पहले प्रमुख हैं.

1979 बैच के आईपीएस अधिकारी वर्मा बुधवार को ड्यूटी पर लौटे थे. एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तो के साथ उनकी वापसी का मार्ग प्रशस्त किया था और सीबीआई प्रमुख का चयन करने वाली तीन सदस्यीय समिति से एक सप्ताह में उनके पद पर बने रहने के बारे में फैसला करने के लिए कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने सीवीसी की एक रिपोर्ट में उनके खिलाफ लगे आरोपों के आलोक में ऐसा किया था. वर्मा का दो वर्षों का निर्धारित कार्यकाल 31 जनवरी को समाप्त होने वाला था. अधिकारियों ने बताया कि वर्मा को सीबीआई प्रमुख पद से हटाने का निर्णय दो दिनों में उच्चाधिकार समिति की दूसरी बार यहां हुई बैठक लिया गया.

गुरुवार शाम जारी एक सरकारी आदेश में बताया गया कि वर्मा को केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत दमकल सेवा, नागरिक रक्षा और होमगार्ड महानिदेशक के पद पर तैनात किया गया है. सीबीआई का प्रभार अतिरिक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को दिया गया है.

सीवीसी की रिपोर्ट में वर्मा के खिलाफ आठ आरोप लगाए गए थे. यह रिपोर्ट उच्चाधिकार प्राप्त समिति के समक्ष रखी गई. समिति में लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के प्रतिनिधि के रूप में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति एके सीकरी भी शामिल थे. अधिकारियों ने बताया कि वर्मा को उनके पद से हटाने का फैसला दो घंटे चली बैठक में बहुमत से किया गया. खड़गे ने इस कदम का विरोध किया.