जश्न ए गणतंत्र दिवस और हमारा संविधान

भारत के लिए यह बड़े गर्व की बात है कि जश्ने गणतंत्र 2018 में 10 देशों के प्रमुख खास मेहमान के तौर पर शामिल होकर इस महान देश के लोकतंत्र मूल्यों से रूबरू होंगे।

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आज़ादी के बाद देश के बेहतरीन दिमागों ने अपनी सभी प्रतिभाओं को उजागर कर एक ऐसा संविधान बनाया, जिसमें बगैर किसी धार्मिक व सामुदायिक भेदभाव के भारत के नागरिकों की संपूर्ण विकास को बढ़ावा देना था।

कानून के माहरीन, सामाजिक, राजनितिक व धार्मिक सूझ बूह रखने वाले समुदाय के सलाहकार और मिल्लत के बुद्धिजीवियों ने ढाई साल के गौर करने के बाद जो संविधान बनाया, वह सच में दुनियां का बेमिसाल संविधान है। 26 जनवरी 1950 को फिरंगियों का लागु संविधान समाप्त हो गया। और आजाद भारत में आजाद दिमागों का तैयार किया हुआ भारतीय संविधान लागु हो गया।

संविधान बनाने की परिषद का नेतृत्व सीनियर दलित नेता और प्रख्यात कानूनविद डॉ भीमराव अम्बेडकर ने की और इस परिषद में मौलाना हसरत मोहानी ने भी अपने कीमती मशवरों से संविधान के नोक पलक संवारे। 68 साल पहले बनाया गया यह संविधान देश के सभी नागरिकों को कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक देश के हर कोने में निडर होकर जिंदगी बसर करने और अजादाना तौर पर अपने धर्म अपने विचारधारा और अपनी फ़िक्र पर अमल करते हुए देश की विकास में सहायक होने का पूरा पूरा मौक़ा देता है।