गोरखपुर: योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद लगातार अवैध बुचड़खानों के सील किया जा रहा है। बुधवार को योगी के संसदीय क्षेत्र में इसको लेकर अफरातफरी मची रही। बकरे का गोश्त बेचने वालों में भी डर है।
लेकिन हैरान करने वाली बात यह कि प्रशासन बिना लाइसेंस के मीट बेचने वालों की तो धर-पकड़ कर रही है लेकिन लाइसेंस रखकर बूचड़खाना चलाने वालों पर कोई कार्यवाई नहीं किया की जा रही है।
गोरखपुर के शहर पिपरापुर, तुर्कमानपुर, सिधारीपुर, बक्शीपुर, खूनीपुर, रहमतनगर, इलाहीबाग, रसूलपुर, पुराना गोरखपुर और जमुनहिया में तकरीबन 75 दुकानों को अबतक बंद कराया जा चुका है। लाइसेंस का नवीनीकरण न होने के चलते कोई भी दुकान खोलने की हिम्मत नहीं दिखा रहा। मुस्लिम होटलों को सबसे अधिक टारेगट किया जा रहा है।
यही वजह है कि दर्जनों मीट विक्रेता अपनी फरियाद लेकर बुधवार को नगर आयुक्त के पास पहुंचे जहां उन्होंने दुकान खुलवाने की मांग की। लेकिन नगर आयुक्त ने यह कहकर उन्हें लौटा दिया कि यह मामला प्रशासन से जुड़ा हुआ है इसलिए जिलाधिकारी से बात कीजिए।
इसके बाद सभी लोग जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे। उनका कहना था कि कारोबार बंद होने से उनके परिवार के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। प्रशासन लाइसेंस दिलवाए या रोजगार के दूसरे साधन मुहैया कराए।
फरियादियों में एक नियाज कुरैशी ने कहा कि मीट बेचना हमारा पुश्तैनी कारोबार है। अचानक काम बंद होने से हमलोग भूखमरी के कगार पर पहुंच जाएंगे। उधर, बूचड़खाना बंद होने का असर बकरे के मीट बेचने वालों दिखने लगा है। डर से कई दुकानों को बंद कर दिया है। एजाज कुरैशी ने बताया कि बकरे का मीट बेचने के लिए जिले में किसी के पास लाइसेंस नहीं है। अगर प्रशासन ने सख्ती की तो दुकान बंद करनी पड़ेगी।
इन सब के बीच मीट की दुकानें बंद होने का असर मुर्गों पर पड़ा है। जो मुर्गे का मीट रविवार तक 150 रुपये किलो बिक रहा था अब वह 210 रुपये किलो हो गया है। दुकानदारों का कहना है कि अगर यही स्थिति रही तो इसकी कीमत 250 रुपये से ऊपर तक जाएगा।