बीजिंग में राष्ट्रपति और राष्ट्रपति ट्रंप की मुलाकात को वाशिंगटन पोस्ट में लेखक डेविड इग्नेटस लिखते हैं कि राष्ट्रपति शी ने इस मुलाकात में ‘विन-विन कॉरपोरेशन” के आइडिया पर बात की। साथ ही उन्होंने बातों बातों में ये भी संकेत दिया कि बीजिंग धैर्य के साथ वैश्विक सुपर पावर के रूप में पहचाना जाए और वो उसी की ओर आगे बढ़ रहा है।
वो आगे लिखते हैं चीन की बढ़त मंत्रमुग्ध करने वाली है और ये हाइड एंड बाइड स्लोगन पर चलता नजर आ रहा है वहीं यूएस ओपन पावर प्ले पर भरोसा करता है। इग्नेटस आगे लिखते हैं की अगर चीन की शक्ति और बढ़ते हुए नेटवर्क को समझना है तो “वन बेल्ट वन रोड” प्लान को देख कर समझा जा सकता है कि कैसे वो अमेरिका चुनौती दे रहा है।
एएनआई की रिपोर्ट की मुताबिक एयरफोर्स के एक अप्रकाशित और गोपनीय दस्तावेज में खुलासा हुआ है कि चीन ने ओबोर प्रोजेक्ट के लिए 64 राष्ट्रों को 1 ट्रिलियन यूएसडी की राशि कमीशन की है।स्टडी में खुलासा हुआ है कि किस तरह से बीजिंग इंडियन ओसिन रीजन में पोर्ट बनाने के लिए करीब 250 बिलियन यूएसडी वित्तीय सहायता कर रहा है इन देशों में श्री लंका, मलेशिया, पाकिस्तान, बर्मा, केन्या, यूनाइटेड अरब अमीरात सहित कई देश शामिल हैं।
चीन के सुपर पावर बनने की राह में ग्रीस में भी करीब 13.6 यूएसडी निवेश किया है ताकी वो पोर्ट ऑफ पाइरस के साथ ग्रीक यूटीलीटीज और फाइबर ऑपटिक कंपनीज में निवेश किया है। उसमें ग्रीस चीन और यूरोप के बीच में ब्रिज का काम कर रहा है।
वहीं चीन एशिया के सभी क्षेत्रों को जोड़ने के लिए और यूरोप तक रेलवे लाइन भी बिछा रहा है। अभी तक चीन ने 9 यूरोपीय देशों में 40 रूटों पर रेल लाइन बिछा दी है। वहीं चीन अमेरिका के साइंस और तकनीकी डोमेन पर भी कब्जा जमा चुका है।
विशेषज्ञ आगे लिखते हैं कि चीन ने OBOR देशों के साथ करीब 50 से अधिक विज्ञान और तकनीकी लैब पर काम कर रहा है और आने वाले पांच सालों में 5000 से अधिक वैज्ञानिकों, इंजीनियर और मैनेजर के साथ काम करने की योजना है।
एयरफोर्स की दूसरी रिपोर्ट के अनुसार देश तकनीकी टैलेंट को मोबलाइज कर रहा है। चीन का आने वाले समय में अफ्रीकी देशों में 150000 किलोमीटर तक फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क बिछाने की योजना है। जिसे आगे 120 देशों तक बढ़ाने का प्लान है। वहीं यूरेसिया में जीपीएस की तरह नेवीगेशन सिस्टम बना रहा इग्नेटस आगे लिखते हैं की चीन धीरे धीरे तकनीकी और व्यापार में भी अमेरिका को पीछे छोड़ने के लिए आगे बढ़ रहा है। जबकि ट्रंप प्रशासन कोयला-खनन की नौकरियों की सुरक्षा और जलवायु विज्ञान मामले ही पूछताछ करने में लगी हुई है।