थल सेना को पहली बार मिलेगा जंगी हेलीकॉप्टर

अपाचे जंगी हेलीकॉप्टर की क्षमता साल 1990 में उस वक्त दिखी जब कुवैत पर इराक की चढ़ाई के बाद अमेरिका ने उसके खिलाफ ‘ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म’ नाम से हमले किए। उस समय अपाचे हेलीकॉप्टर ने सउदी अरबिया में बने बेस से उड़ान भरने के बाद इराक के पश्चिमी इलाके में लगे पूर्व सूचना देने वाले रेड (अर्ली वार्निंग रेडार इंस्टॉलेशन) को नष्ट कर दिया। जिसके बाद अमेरिकी सेना के जवानों को इराक में बिना किसी अवरोध के बमबारी करने के लिए रास्ता बिल्कुल साफ हो गया।

भारतीय थल सेना भी जल्द ही ऐसे ऐसे हमलावर हेलीकॉप्टर से लैस होगी और उसकी मारक क्षमता और बढ़ जाएगी। भारतीय सेना के लिए पश्चिमी मोर्चे पर अमेरिका का यह लड़ाकू हेलीकॉप्टर बेहद कारगर साबित हो सकता है। इसके साथ ही, यह चीन के खिलाफ लड़ाई में इस्तेमाल किया जानेवाला पहला हथियार भी हो सकता है। इसके फौरन और आसमान से तबाही मचाने की क्षमता को देखते हुए जहां एक तरफ सेना की शक्ति में इजाफा होगी तो वहीं दूसरी तरफ युद्ध के मैदान में जीत सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।

सैन्य क्षमता में होगा इजाफा

साल 1963 में तत्कालीन सेनाध्यक्ष जेएन चौधरी ने भारतीय सेना के लिए आसमानी ताकत पर जोर दिया था। जिसमें उनका इशारा हमलावर हेलीकॉप्टर की तरफ भी था। उन्होंने जोर देते हुए कहा था कि सेना की मारक क्षमता और उसके एक जगह से दूसरी जगह तेजी से लेकर जाने में आंतरिक एयर विंग की सख्त जररूरत है। जिसमें लाइट, मीडियम और हैवी यहां तक की उन्होंने लड़ाकू हेलीकॉप्टर की जरूरत भी बताई थी।