जमाते इस्लामी हिन्द के सचिव जनरल मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने कहा कि नागरिकता से संबंधित बदलाव बिल 2016 देश के संविधान की आत्मा के खिलाफ है। मरकजे जमाते इस्लामी हिन्द में आयोजित प्रेस सम्म्मेलन को ख़िताब करते हुए सलीम इंजीनियर ने कहा कि यह बिल बेहद भेदभाव है, क्योंकि इसमें बंगलादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के लोगों को उनके धर्म के आधार पर नागरिकता देने की प्रस्ताव रखी गई है।
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इस तरह से बंगलादेश के हिन्दुओं को तो कुबूल कर लिया जाएगा, मगर मुसलमानों को नहीं। NRC के संबंधित नेशनल नागरिकता रजिस्टर की छपाई पर गहरी चिंता का इज़हार करते हैं। असम में अब तक 3.3 करोड़ लोगों ने नागरिकता हासिल करने के लिए आवेदन इकट्ठा की थीं। शुरुआती सूची में एनआरसी ने आवेदनकर्ता में से सिर्फ 1.9 करोड़ लोगों की अवदन को सही करार दिया है और उन्हें भारत का असली नागरिक स्वीकार किया है।
अंतिम सूची जुलाई 2018 के आखिर तक जारी होने की संभावना है।1985 के असम अनुबंध के मुताबिक 24 मार्च 1971 के बाद राज्य में दाखिल होने वाले लोगों को गैरकानूनी निवासी करार दिया जाएगा।