नई दिल्ली: इसे शौक तो किसी हाल में नहीं कहा जा सकता, है तो यह मजबूरी ही। वरना सिर्फ 35 रुपये में कोई महिला अपने शरीर को किसी और के हवाले नहीं करेगी। परिवार के पालन पोषण के लिए यह रास्ता गलत जरूर है, लेकिन इन महिलाओं के लिए आमदनी का यही एकमात्र जरिया है। 35 रुपये में अपना जिस्म बेचने की मजबूरी में असुरक्षित यौन संबंध इन महिलाओं को एचआईवी की चपेट में ला रहे हैं।
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वहीं इनके साथ असुरक्षित संबंध बनाने वाले पुरुष भी एचआईवी संक्रमण के शिकार हो रहे हैं। बच्चों को दो जून की रोटी के लिए 35 रुपये में जिस्म बेचने की मजबूरी की व्यथा नोएडा जिला अस्पताल के इंटेग्रेटेड काउंसलिंग एंड टेस्टिंग सेंटर (आइसीटीसी) में महिलाओं ने बताई।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार काउंसलिंग के दौरान मात्र 35 रुपये लेकर देह व्यापार करने वाली महिलाओं ने जानकारी दी कि उनके लिए सुरक्षित व असुरक्षित शारीरिक संबंध बनाना मायने नहीं रखता। उनकी तो मजबूरी है कि शाम को बच्चों के मुंह में निवाला कैसे पहुंचेगा। महिलाओं ने बताया कि यह संबंध बनाने वाले व्यक्ति पर निर्भर करता है। उसके पास एचआइवी से बचाने वाले साधन हैं या नहीं।
देह व्यापार करने वाली महिलाएं ग्राहक को ही जिम्मेदार मानती हैं। हालांकि वह संबंध बनाने से इन्कार नहीं करतीं। इतना ही नहीं एनसीआर में बहुत से ऐसे फ्लाइवओवर्स भी हैं जहां खूब देह व्यापार चलता है। लड़कियां और औरतें बन संवर के फ्लाइ ओवर के नीचे खड़ी रहती हैं और सस्ते दाम पर अपने जिस्म का सौदा करने के लिए तैयार रहती है।
ऐसी महिलाओं ने काउंसलिंग में बताया कि अगर वह ग्राहक को मना कर देंगी, तो उनकी रोजी-रोटी कैसे चलेगी?
इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि रोजी-रोटी चलाने के लिए नोएडा शहर एचआइवी संक्रमण की चपेट में आता जा रहा है। आइसीटीसी के अनुसार इनमें से ज्यादातर महिलाएं झुग्गी-झोपड़ी व कांस्ट्रक्शन साइटों के आसपास रहती हैं। वह अवैध देह व्यापार के जरिये एचआइवी की वाहक बन रही हैं। ऐसे में ग्राहक को ही सतर्क रहना चाहिए। ताकि वह एचाआइवी संक्रमण से बच सकें।
आइसीटीसी से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार समलैंगिक संबंध रखने वाले व थर्ड जेंडर में एचआइवी संक्रमण के मामले ज्यादा रिपोर्ट किए गए हैं। वर्ष 2016 से अब तक करीब 1600 समलैंगिक व थर्ड जेंडर की जांच हुई। इनमें से 29 एचआइवी पॉजिटिव पाए गए।
नोडल चिकित्सा अधिकारी (एचआइवी) डॉ. श्रीष जैन ने बताया कि सभी रेड जोन एरिया में सरकार एचाआइवी संक्रमण से बचाने के लिए निरोध का वितरण करती है। जागरूकता व जांच कार्यक्रम भी लगातार चलाए जाते हैं। जिला अस्पताल, भंगेल व दादरी में इसकी जांच व इलाज मुफ्त उपलब्ध है। मरीज का ब्यौरा भी गुप्त रखा जाता है।
(साभार-युपियूके लाइव)