गुजरात में वर्ष 2002 में हुए दंगों के मामलों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य लोगों को क्लीन चिट देने वाले फैसले को चुनौती देने वाली पूर्व सांसद एहसान जाफरी की विधवा जकिया जाफरी द्वारा दायर की गई याचिका पर गुजरात उच्च न्यायालय ने सुनवाई समाप्त कर दी।
न्यायमूर्ति सोनिया गोकानी ने जकिया के वकील मिहिर देसाई द्वारा 19 जून को लिखित निवेदन दाखिल करने की अनुमति देते हुए सुप्रीम को र्ट द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल को 3 जुलाई को फैसला सुनाने से पूर्व तक अपना जवाब दे दें।
2002 के दंगों के मामलों के पीछे मोदी और अन्य लोगों को शामिल किए जाने वाली आपराधिक साजिश के मुद्दे पर एसआईटी द्वारा दायर एक समापन रिपोर्ट के खिलाफ जकिया का मामला हाई कोर्ट को स्थानांतरित कर दिया था। उनके पति एहसान जाफरी दंगों के पीड़ितों में से एक थे क्योंकि भीड़ ने शहर के गुलबर्ग सोसाइटी में आग लगा दी थी।
देसाई ने कहा कि एसआईटी की समापन रिपोर्ट को स्वीकार करने वाले मजिस्ट्रेट ने अन्य विकल्पों के बारे में सोचा नहीं जैसे रिपोर्ट को खारिज करना या फिर नए जांच का आदेश देना। आपराधिक साजिश के आरोप में मोदी और 59 अन्य को दोषी ठहराए जाने के लिए कार्यकर्ता तिस्ता सीतलवाड़ द्वारा संचालित एनजीओ नागरिक न्याय ने समीक्षा याचिका की मांग की है।
जाकिया ने भी सुप्रीम कोर्ट की क्लोजर रिपोर्ट को अस्वीकार करने के लिए आवेदन किया और एसआईटी को मोदी और अन्य को क्लीन चिट दे दी। 28 फरवरी, 2002 को गोधरा ट्रेन के नरसंहार के बाद दंगों के दौरान गुलबर्ग सोसायटी में भीड़ ने एहसान जाफरी सहित 68 लोगों की हत्या कर दी थी।