अपनी ख़ामियों को छुपाने के लिए योगी सरकार खुलकर खेल रही हिन्दू-मुस्लिम कार्ड

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का खुमार उतरा नहीं है। अभी तक राज्य के मुख्यमंत्री और दोनों उप मुख्यमंत्री विधायक भी नहीं बने हैं। लेकिन राज्य में अगले चुनाव का माहौल बन गया है।

ऐसा लग रहा है कि देश का सबसे बड़ा राज्य अभी से लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गया है। इसलिए राज्य में छोटी, बड़ी हर घटना को हिंदू बनाम मुस्लिम का रूप दिया जाने लगा है।

पिछले दिनों गोरखपुर के एक सरकारी अस्पताल में 60 से ज्यादा बच्चों के मरने की खबरें आईं। पूरा देश इस घटना पर आंदोलित था, लेकिन उसी बीच डॉक्टर कफील अहमद का मामला आ गया। पहले इस डॉक्टर को हीरो बनाया गया, फिर विलेन बनाया गया और फिर जांच में क्लीन चिट दे दी गई। कई दिन तक हिंदू मरीज बनाम मुस्लिम डॉक्टर की बहस चलती रही। और मामला मीडिया में सुर्खियां बटोरती रहीं।

इसी बीच जन्माष्टमी का त्योहार आया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अगर वे ईद के समय सड़क पर नमाज पढ़ने पर रोक नहीं लगा सकते तो उनको पुलिस स्टेशनों में जन्माष्टमी मनाने से रोकने का आदेश देने का अधिकार नहीं है।

उनका यह बयान विधानसभा चुनाव के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिए इस बयान का विस्तार है कि अगर सरकारी पैसे से कब्रिस्तान बनते हैं तो श्मशान भी बनने चाहिए।

स्वतंत्रता दिवस को लेकर राज्य के सभी मदरसों को निर्देश दिया गया था कि वे अपने यहां आजादी दिवस के कार्यक्रम करें और उनकी वीडियो बनाएं। अब कहा जा रहा है कि इस आदेश का पालन नहीं करने वाले स्कूलों पर रासुका लगाया जा सकता है।

ये सारी घटनाएं और सरकारी आदेश, नेताओं के बयान इस बात का संकेत हैं कि चुनाव के लिए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रयास चल रहा है।