सोशल मीडिया: निर्भया की तरह बिलकिस बानो के रेपिस्टों को फांसी क्यों नहीं?

सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप मामले में फांसी की सजा पाए चारों दोषियों की सज़ा बरकरार रखी है।

सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए मुकेश, पवन, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह की अपील खारिज कर दी जिसमें उन्होंने फांसी सजा पर रोक लगाने की अपील की थी। इस बीच सोशल मीडिया पर निर्भया बनाम बिलकिस बानो रेप मामले पर बहस छिड़ गई है।

कई लोगों ने बिलकिस बानो रेप और मर्डर केस में बॉम्बे हाई कोर्ट के 11 दोषियों को उम्रकैद की जगह फांसी की सजा की अपील को खारिज किए जाने पर सवाल उठाया है।

इस मामले में सीबीआई की तरफ से याचिका दाखिल कर दोषियों को मौत की सजा देने की मांग की गई थी। बता दें कि बिलकिस बानो को लेकर निर्भया रेप मामले पर फैसला आने के एक पहले आया था।

गौरतलब है कि साल 2002 में गुजरात दंगे के दौरान राजधानी अहमदाबाद से 250 किलोमीटर दूर रंधीकपुर गांव में बिलकिस के परिवार के छह सदस्यों के साथ बालात्कार किया था। जब बिलकिस के साथ बालात्कार हुआ तब वो 19 साल की थीं और पांच महीने से गर्भवती थीं। इसके अलावा उनके परिवार के 8 सदस्यों की रेप कर हत्या कर दी गई थी, जिनमें तीन दिन का एक मासूम बच्चा भी शामिल था।

इसी को लेकर सीबीआई ने दोषियों में से तीन को कोर्ट से मृत्युदंड देने की मांग की थी, क्योंकि उसका मानना था कि यह एक गंभीर अपराध और सामूहिक हत्याकांड था।

लेकिन कोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा देने से इंकार कर दिया। हालांकि कोर्ट ने छह लोगों को बरी किए जाने के निचली आदालत के फैसले को पलट दिया है जिन पर सबूतों से छेड़छाड़ करने का आरोप था।

अब इसको लेकर सोशल मीडिया पर सवाल उठाया गया है कि निर्भया और बिलकिस बानो दोनों का केस ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ है लेकिन दोनों का मापदण्ड अलग-अलग क्यों?

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य जस्टिस मार्कंडेय काटजू समेत कई लोगों ने बिलकिस बानो के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया है।

वहीं कुछ लोगों ने यह भी पूछा है कि जो लोग निर्भया के बलात्कारियों को फांसी की सजा मिलने पर खुश है, वही लोग बिलकीस बानो के बलात्कारियों को फांसी की सजा नहीं मिलने से दुखी क्यों नहीं हैं?