मुंबई। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि दक्षिणपंथी संगठन सनातन संस्था की गतिविधियों के संबंध में 2012 में कांग्रेस नीत राज्य सरकार द्वारा केंद्र को भेजा गया दस्तावेज (डोजियर) ‘निष्पक्ष’ था और वह एटीएस की एक रिपोर्ट पर आधारित था। चव्हाण नवंबर 2010 से सितंबर 2014 के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे।
उनकी सरकार ने 2011 में संस्था पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव भेजा था। इसके बाद 2012 में कट्टरपंथी संगठन की गतिविधियों के बारे में 1000 पृष्ठों का एक दस्तावेज भेजा था। उन्होंने कहा कि दस्तावेज बिना किसी पूर्वाग्रह के था और संस्था की गतिविधियों के संबंध में राज्य एटीएस द्वारा तैयार एक रिपोर्ट पर आधारित था।
चव्हाण ने एक बयान में कहा कि तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर की हत्या से बहुत पहले, 2011 में संस्था पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम को भेजा गया था।
उन्होंने कहा कि वह प्रस्ताव किसी घटना पर अचानक प्रतिक्रिया नहीं थी बल्कि संगठन के संबंध में (एटीएस) अधिकारियों द्वारा किए गए कार्यों को दर्शाते हुए सुविचारित और अच्छी तरह से तैयार रिपोर्ट थी।
दाभोलकर की अगस्त 2013 में पुणे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। सीबीआई ने हत्या के सिलसिले में 2016 में संस्थान की एक शाखा के कथित कार्यकर्ता वीरेंद्र तावड़े को गिरफ्तार किया था।
चव्हाण ने कहा कि 2008 में उपनगरीय ठाणे में कम तीव्रता के विस्फोट को लेकर संस्था के दो कार्यकर्ताओं को 2011 में एक सत्र अदालत ने दोषी ठहराया था। उस घटना में आठ लोग घायल हो गए थे। उन्होंने कहा कि अभियुक्तों को 14 साल की सजा हुई थी।