कोर्ट ने CBI से पुछा- ‘नज़ीब अहमद को जिंदा मानते हो या मुर्दा?’

जेएनयू के लापता पीएचडी छात्र नजीब अहमद के मामले में अदालत ने सीबीआई से पूछा कि वह नजीब को जिंदा मानती है या मृत। अदालत ने नजीब की सीडीआर के मुद्दे पर एजेंसी से यह सवाल पूछा।

अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, सीबीआई ने अदालत के आदेश पर क्लोजर रिपोर्ट और अन्य दस्तावेज नजीब की मां फातिमा नफीस को मुहैया करा दिए थे, लेकिन उसमें उसकी कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) नहीं थी। फातिमा ने यह रिकॉर्ड दिलाने के लिए आग्रह किया था। जांच के बाद सीबीआई ने अक्तूबर 2018 में इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी।

पटियाला हाउस अदालत के सीएमएम मनीष खुराना के समक्ष सीबीआई ने कहा कि उसने नजीब की सीडीआर को भरोसेमंद साक्ष्य नहीं माना था। इसलिए उसे क्लोजर रिपोर्ट में शामिल नहीं किया था। इसलिए उसकी कॉपी फातिमा नफीस को नहीं दी गई।

फातिमा का कहना था कि नजीब गायब हुआ था और उसकी तलाश के लिए सीडीआर एक अहम साक्ष्य है। नजीब को जीवित या मृत मानने के कोर्ट के सवाल पर एजेंसी ने कहा कि उसे आखिरी बार अपने साथी के साथ हॉस्टल से निकलते हुए देखा गया था।

उसे जान-बूझकर छिपाकर रखा गया है। फातिमा नफीस के वकील ने विरोध करते हुए इस पर बहस कराने की मांग की है। मामले की सुनवाई के लिए 28 जून की तारीख तय की गई है। जेएनयू छात्र 15 अक्तूबर 2016 को गायब हो गया था।

इससे एक दिन पहले उसका एबीवीपी से जुड़े छात्रों से झगड़ा हुआ था। इस मामले की जांच दिल्ली पुलिस ने की थी, लेकिन फातिमा की याचिका पर हाईकोर्ट ने केस सीबीआई को सौंप दिया था।