दिल्ली उच्च न्यायालय ने उत्तराधिकार से संबंधित मुस्लिम पर्सनल लॉ में संशोधन की एक याचिका पर बुधवार को सरकार से जवाब तलब किया है। याचिका में कहा गया है कि संपत्ति के बंटवारे के मुद्दे पर मुस्लिम महिलाओं के साथ भेदभाव किया जाता है।
चीफ जस्टिस जी रोहिणी एवं जस्टिस संगीता ढींगरा सहगल की पीठ ने सरकार को नोटिस जारी किया और उत्तराधिकार से संबंधित मुस्लिम कानून में कथित भेदभावपूर्ण रवैये के संबंध में मुद्दे की जांच करने का निर्देश दिया है।
न्यायालय ने सरकार से सुनवाई की अगली तारीख 15 मई से पहले जवाब दाखिल करने को कहा है। सामाजिक संगठन सहारा कल्याण समिति की याचिका पर न्यायालय सुनवाई कर रही है।
अधिवक्ता राघव अवस्थी और सोमेंदु मुखर्जी की याचिका में आरोप लगाया गया है कि जहां तक भारत में मुस्लिम महिलाओं के उत्तराधिकारों की बात है तो पुरुषों की तुलना में उनके साथ भेदभाव किया जाता रहा है।
याचिका में कहा गया कि परंपरागत कानून और मौजूदा संवैधानिक कानून के आधार पर भेदभाव अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत प्रदत्त समानता के मौलिक अधिकार का और संविधान के अन्य संबंधित प्रावधानों का उल्लंघन है।