फंड मैनेजर का अनुमान : कच्चे तेल का भाव 300 डॉलर तक जा सकता है

नई दिल्ली। अभी कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर पर पहुंचने के अनुमान से भारत सहित कई देशों की सरकारें डरी हुई हैं लेकिन, कच्चे तेल की कीमत के इस अनुमान से आपकी भी नींद उड़ सकती है। एक नए अनुमान में कच्चे तेल का भाव 300 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच जाने की बात कही गई है।

दुनिया भर में तेल के सबसे प्रमुख हेज फंड प्रबंधकों में से एक पियरे एंडुरैंड ने कहा है कि ऊर्जा कंपनियां नए उत्पादन में निवेश करने में बहुत दिलचस्पी नहीं दिखा रही हैं। ऐसे में अगर कच्चे तेल का भाव 300 डॉलर के पार भी चला जाये तो बड़ी बात नहीं होगी।

रविवार को एंडुरैंड ने एक के बाद एक कई ट्वीट्स किये। इनमें कहा गया है कि भविष्य में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग से कच्चे तेल की मांग घटने की संभावना है। इसके चलते तेल कंपनियां अपनी तेल परियोजनाओं में निवेश कम कर रही हैं। उन्होंने लिखा है कि “अगर तेल की कीमतें तेजी से बढ़ती हैं, तो कुछ वर्षों में 300 डॉलर प्रति बैरल का स्तर असंभव नहीं है”।

हेज फंड मैनेजर एंडुरैंड, तेल से जुड़े एंडुरैंड कैपिटल मैनेजमेंट एलएलपी चलाते हैं। उन्होंने लिखा है कि अगर कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर जाती हैं तो इससे इकोनॉमी पर ज्यादा असर नहीं होगा। उनका कहना है कि अगर कच्चे तेल का भाव 100 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर जाएगा तभी अमेरिका के बाहर कच्चे तेल की परियोजनाओं में निवेश आएगा।

इसके लिए उन्होंने सऊदी अरब के तेल मंत्री खालिद अल-फलीह का हवाला देते हुए कहा है कि इस महीने के शुरू में बताया गया था कि क्रूड की कीमतें 75 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच सकती हैं। अल-फलीह ने कहा, “हमने अतीत में कीमतों का काफी ऊंचा स्तर देखा है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में महंगे कच्चे तेल का बोझ उठाने की क्षमता है।

उन्होंने कहा कि 2008 में कच्चे तेल का भाव क्रैश होने से पहले लगभग 150 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था। एंडुरैंड शीर्ष कमोडिटी हेज फंड मैनेजरों में से एक थे, जिन्होंने तेल बाजार की स्थिति पर चर्चा के लिए पिछले साल जुलाई में लंदन में अल-फलीह से मुलाकात की थी। पेट्रोलियम निर्यात करने वाले देशों और उसके सहयोगियों का संगठन इस साल अपने उत्पादन में कटौती को जारी रखने की योजना बना रहा है।