U.P. : दलित दूल्हे को घोड़ी पर चढ़ बारात निकालने की नहीं मिली अनुमति

इलाहाबाद। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कासगंज के निजामपुर गांव में दलित युवक को घोड़ी पर चढ़कर बारात निकालने की मांग नहीं मानी। न्यायालय ने कहा कि वह ऐसा आदेश नहीं दे सकती। कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि याची को किसी प्रकार की परेशानी है तो वह मुकदमा दर्ज करा सकता है। जिला प्रशासन ने दूल्हे की मांग के खिलाफ कोर्ट को जानकारी उपलब्ध करायी थी कि ऐसा करने से वहां का स्थानीय माहौल बिगड़ सकता है।

हाईकोर्ट ने कहा कि याचिका पर अलग से कोई आदेश जारी करने का औचित्य नहीं है। अगर दूल्हे या लड़की पक्ष के लोगों से कोई जोर- जबरदस्ती करे तो वह पुलिस में इसकी शिकायत कर सकते हैं। गौरतलब है कि हाथरस जिले के बसई बाबस गांव निवासी संजय कुमार की बारात जल्द ही कासगंज इलाके के एक ठाकुर बहुल गांव जाने वाली है लेकिन ठाकुरों द्वारा इस बारात का विरोध किया जा रहा है।

दूल्हा संजय सरकारी कार्यालयों, पुलिस अधिकारी, मुख्यमंत्री, एससी-एसटी कमीशन समेत अधिकतर मीडिया हाउस को चिट्ठी लिखकर यह सवाल पूछ चुके हैं कि ‘क्या मैं हिंदू नहीं हैं?’ संजय अपनी बारात ले जाने के लिए सोशल मीडिया पर भी मदद की गुहार लगा चुके हैं।

शादी में अभी समय बाकी हैं। इस गांव की 90 प्रतिशत आबादी ठाकुर है, वहीं बारात निकालने की मांग पर अड़ा दलित परिवार बसपा से जुड़ा है। ऐसे में इस शादी के रास्ते में जातिवादी राजनीति भी अड़ंगा डाल रही है। जिले के डीएम जो कि खुद भी ऊंची जाति से संबंध रखते हैं, उनका कहना है कि दोनों पक्ष हिंदू हैं। हिंदुओं में शादी एक भावना है, ना कि कोई जुलूस। दलित बेवजह लड़ाई का मुद्दा बना रहे हैं। इलाके के ठाकुर विधायक भी ठाकुरों के पक्ष में ही खड़े हैं।