तबलीगी जमात के कार्यक्रमों पर दारूल उलूम देवबंद ने लगाई रोक,छात्रों को दी सख़्त हिदायत

दारुल उलूम देवबंद एक बड़ा फ़ैसला लेते हुए अपने यहाँ तबलीगी जमात की गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक लगा दी है । संस्था में अब तबलीग़ का कोई कार्यक्रम नहीं होगा ।

तबलीग़ जमात के अंदरूनी विवाद से अलग रहने के लिए देवबंद ने ये फ़ैसला लिया है । दारुल उलूम के आलिमों खास बैठक बुलाकर इस बात कर फैसला लिया गया और ऐलान किया गया कि दारुल उलूम, देवबंद में तबलीगी जमात का कोई कार्यक्रम नहीं होगा.

सुन्नी मुसलमानों की सबसे बड़ी जमात तब्लीगी जमात के मरकज़ का केंद्र निजामुदीन दिल्ली में है. लेकिन तीन साल पहले जमात के मुख्य जिम्मेदार मौलाना जुबैर के इंतेक़ाल के बाद जमात का अमीर बनने के लेकर विवाद चल रहा है.

मौलाना जुबैर के बेटे मौलाना जुहैर और मौलाना शाद दोनों ही अमीर बनना चाहते है. जिम्मेदारों में वर्चस्व की लड़ाई के चलते तबलीग़ के कामकाज भी प्रभावित हो रहा है. कई बार कारकुन भी आपस में भिड़ चुके हैं. दारुल उलूम के बहुत सारे तलबा और उस्ताद भी तबलीग़ से जुड़े है.

बुधवार को हुई एक अहम मीटिंग में दारुल उलूम ने सख्त फैसला लिया है. दारूल उलूम की तरफ़ से जारी आदेश में कहा गया है कि अगर कोई तलबा तबलीग़ की एक्टिविटी में शामिल पाया गया तो उसे सस्पेंड कर दिया जायेगा. दारुल उलूम के मोहतमिम मौलाना अबुल क़ासिम बनारसी की सदारत में यह फैसला हुआ.

उन्होंने एक चिठ्ठी जारी की है जिसमे कहा गया है दारुल उलूम देवबंद तबलीग़ जमात के विवाद में नही पड़ना चाहता. उसका इससे कोई लेना देना नही है. जब तक दोनों गुटों में मसले का हल नही निकल जाता दारुल उलूम खुद को इससे दूर रखेगा.

जमीयत उलेमा हिन्द के सदर मौलाना अरशद मदनी ने भी दारुल उलूम के इस फैसले का स्वागत किया है । उन्होंने कहा कि यह फैसला तब्लीगी जमात के खिलाफ नही है बल्कि संस्था के छात्रों को झगड़ा से बचाने के लिए है. दोनों पक्षो में सुलह की कोशिश भी की गयी जोकि नाकाम रही. जमात में बढ़ी गुटबाजी से पूरी दुनिया में जमात के कामकाज पर गहरा असर पड़ा है.