श्रीलंका में धार्मिक स्थलों पर हुए आतंकी हमले के बाद श्रीलंका की सरकार द्वारा बुर्के पर पाबंदी लगाने को उलमा ने सरासर गलत करार दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार एक समुदाय को निशाना बनाकर कार्रवाई कर रही है।
अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, ऑल इंडिया दावातुल मुसलीमीन के संरक्षक व प्रसिद्ध आलिम-ए-दीन कारी इस्हाक गोरा ने कहा कि धार्मिक स्थलों पर आतंकवादी हमलों के बाद श्रीलंका सरकार ने बुर्के पर पाबंदी लगाई है कि कोई भी महिला बुर्का नहीं पहन सकती।
उन्होंने कहा कि मैं समझता हूं कि वहां की सरकार का यह फैसला सरासर गलत है और वह एक समुदाय को टारगेट कर रही है। जिसे किसी भी दशा में उचित नहीं ठहराया जा सकता।
कारी इस्हाक गोरा ने कहा कि वहां की सरकार को यह मालूम नहीं कि इस्लाम में महिलाओं को पर्दे का हुक्म इसलिए दिया गया है क्योंकि उन्हें कीमती माना गया है और हर कीमती चीज को ढककर रखने की जरूरत होती है।
उन्होंने कहा कि हम शुरू से लेकर आज तक उन हमलों की निंदा करते आ रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। वहां की सरकार को चाहिए कि वह हमलावरों को चिह्नित कर उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दे और बुर्के पर पाबंदी का फैसला वापस ले।
मदरसा जामिया शेखुल हिंद के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती असद कासमी का कहना है कि श्रीलंका सरकार बुर्के पर पाबंदी महज शक की बुनियाद पर लगा रही है। यह तक पता नहीं कि हमलावर कौन और किस समुदाय के हैं।
सरकार की यह कार्रवाई सोचने पर मजबूर कर रही है कि घटना को लेकर एक ही समुदाय के लोगों को निशाना क्यों बनाया जा रहा है। बुर्के पर पाबंदी लगाना सरासर गलत है। श्रीलंकाई सरकार फैसले को तुरंत वापस ले।