कश्मीर की बेटियां बनी समाज के लिए मिसाल, बुर्का पहनकर क्रिकेट को दिया मात

बुर्का और हिजाब पहनकर क्रिकेट की पिच पर अपने फन का जलवा दिखाने उतरीं कश्मीर की महिला क्रिकेटरों ने सिर्फ मैदान पर अपने खिलाफ बोलने वालों को ही नहीं बल्कि समाज और मजहब की कई बेड़ियों को भी चुनौती दी है।

प्रकाशित खबर के अनुसार बारामूला के सरकारी महिला कालेज की कप्तान इंशा उत्तरी कश्मीर के युवा खिलाड़ियों में से एक है। चौथे सेमेस्टर की छात्रा इंशा मीडिया से बातचीत में कहा ,‘‘बेखौफ आजाद रहना है मुझे।’’ उसने ये अल्फाज़ आमिर खान के टॉक शो ‘ सत्यमेव जयते ’ से लिये है। उसकी साथी खिलाड़ी भी इस राय से इत्तेफाक रखती है जो बुर्के और हिजाब में क्रिकेट खेलकर परंपरा और खेल के जुनून के बीच संतुलन बनाये हुए हैं।

प्रथम वर्ष की छात्रा राबिया हरफनमौला और बारामूला में बुर्के में खेलती है। एक दिहाड़ी मजदूर की बेटी राबिया जमात-ए-इस्लामिया के दबदबे वाले बारामूला शहर की है। इंशा ने भी बुर्का पहनकर खेलना शुरू किया लेकिन लोगों ने इसकी काफी निंदा की। इससे डरे बिना वह हिजाब पहनकर खेलती है और बल्ला लेकर स्कूटी से कॉलेज जाती है।

इंशा के उर्दू के प्रोफेसर रहमतुल्लाह मीर ने बताया की मैं उसका प्रदर्शन देखकर दंग रह गया और मैं चाहता था कि वह क्रिकेट में नाम कमाये हालांकि हमारे कालेज में खेलों का बुनियादी ढांचा उतना अच्छा नहीं है। इस मामले में सोशल मीडिया पर मदद के लिये मुहिम भी चलाई गई लेकिन पुरूषों के दबदबे वाले समाज से सहायता नहीं मिली। फिर हमने कालेज के प्रिंसिपल की मदद से टीम बनाई और यूनिवर्सिटी के भीतर ही प्रतिस्पर्धायें खेली।