बेटियों ने निभाया बेटे का फर्ज : पैसे जमा कर पिता को भेजा था हज पर

बुरहानपुर, इंदौर :  बात 2014 कि है पर ये खबर लोगों के लिए नसीहत है जो बेटियों को बेटों से कम आँकते हैं, लेकिन बेटियां बेटों से कम नहीं होती। शाहपुर के युसूफ मौलाना की नौ बेटियों ने साल 2014 में अपने पिता को हज पर भेजकर जिंदगी का सबसे बड़ा तोहफा दिया है।

9 में से एक बहन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और दूसरी शिक्षिका है। सभी बहनों के पति मजदूरी करते हैं। बेटियों ने कम कमाई के बावजूद सालभर में 1.80 लाख रुपए जमा कर पिता को हज पर भेजा। शाहपुर के युसूफ मौलाना जामा मस्जिद में पेश इमाम हैं। 75 वर्षीय युसूफ मौलाना इंदौर से फ्लाइट से हज यात्रा के लिए रवाना हुए थे। पिता ने जब बेटियों से विदा ली थी तो उन सभी की आंखें खुशी से नम हो गईं।

युसूफ मौलाना की 9 बेटियां हैं पर बेटा एक भी नहीं है। खुदा की इबादत के साथ उन्होंने घर-परिवार को संभाला। 7 साल पहले पत्नी छोटम बी का इंतकाल हो गया। 9 बेटियों को पाल-पोस कर आठ की शादी करवाई। एक विकलांग बेटी पिता के साथ ही रहती है। 9 बेटियों ने 1 साल तक अपने खर्च के रुपए बचाकर रखे। सभी बेटियों ने सालभर में 20-20 हजार रुपए के हिसाब से 1.80 लाख रुपए जमा किया।

इन बेटियों ने निभाया बेटे का फर्ज
शमाबी पति शेख रहमत- खामनी
बिलकिसबी पति जाकिर- भिवंडी, महाराष्ट्र
बेगमबी पति रफीक- बड़झीरी, बोदरली सरस्वती शिशु मंदिर में शिक्षिका
सायराबी पति शेख शरीफ- खानापुर, महाराष्ट्र
शरीफाबी पति जमील- शाहपुर, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता
सलीमाबी पति लुकमान- भिवंडी, महाराष्ट्र
शबानाबी – विकलांग है। शाहपुर में पिता के साथ रहकर बीए की पढ़ाई कर रही है।
शमीमबी पति सैयद शाकीर- भिवंडी
अमीना पति सैयद शफी- खामनी
साजिदाबी पति शेख हारून- बेटियों की मौसी की लड़की। युसूफ मौलाना ने ही पाला-पोसा। जलगांव में रहती है।