दिल्ली: AAP से गठबंधन को लेकर कांग्रेस में नेताओं में मतभेद!

लोकसभा चुनाव के मद्देनजर आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस में गठबंधन हो या न हो, लेकिन इसे लेकर प्रदेश में पार्टी दो फाड़ जरूर हो गई है। प्रदेश कांग्रेस प्रभारी पीसी चाको और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन गठबंधन के पक्ष में हैं तो मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित इसके खिलाफ। अभी तक यह विरोधाभास पार्टी के भीतर ही था, लेकिन अब खुलेआम सामने आने लगा है।

आलम यह है कि गठबंधन को लेकर कार्यकर्ताओं से की जा रही रायशुमारी पर भी आपसी मतभेद सामने आ गए हैं। शीला दीक्षित ने गठबंधन पर रायशुमारी किए जाने पर सख्त आपत्ति जताई है।

उन्होंने कहा कि गठबंधन का चैप्टर खत्म हो चुका है, जबकि अजय माकन ने उनकी आपत्ति को सीधे पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी पर अंगुली उठाना बताया है। साथ ही यह भी कहा है कि इसमें हर्ज ही क्या है।

बता दें सप्ताह भर पूर्व ही पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ दिल्ली के नेताओं की बैठक में भी इस मुद्दे पर आपसी तकरार हो चुकी है। अब इस गठबंधन पर कांग्रेस के शक्ति ऐप से जुड़े प्रदेश के करीब 55 हजार कार्यकर्ताओं से रायशुमारी किए जाने से विवाद और बढ़ गया है।

पीसी चाको की आवाज में कार्यकर्ताओं के पास पहले से रिकॉर्ड आवाज में संदेश आ रहा है। बृहस्पतिवार को जैसे ही यह खबर मीडिया में आई, शीला दीक्षित का बयान आया कि उन्हें अखबारों से पता चला है कि ऐसा सर्वे हो रहा है। उन्होंने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि उन्हें नहीं मालूम दिल्ली प्रभारी पी सी चाको ऐसा क्यों कर रहे हैं?

शीला ने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की उपस्थिति में यह फैसला लिया गया था और उस समय लगा था कि अब यह चैप्टर खत्म हो गया है। इसके बाद दोपहर को इस मुद्दे पर जब पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन से बात की गई तो उनका कहना था कि पार्टी के कार्यकर्ताओं से होने वाली रायशुमारी को कौन बुरा कहेगा।

इससे अच्छी बात क्या होगी। पार्टी का कार्यकर्ता भी चाहता है कि सारे फैसले उससे पूछकर लिए जाएं। अगर पार्टी के कार्यकर्ताओं से गठबंधन के बारे में राय पूछी जा रही है तो इसमें आखिर ऐतराज क्यों है।

जागरण डॉट कॉम के अनुसार, अजय माकन ने कहा कि यह रायशुमारी शक्ति ऐप के माध्यम से हो रही है जो सीधे राहुल गांधी के निर्देश पर चलता है, इसलिए इसके जरिये राहुल गांधी के निर्णय पर सवाल किया जा रहा है तो जो गलत है।

उन्होंने यहां तक कहा कि कभी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी पार्टी के फैसलों में कार्यकर्ताओं को शामिल करने की बात करते थे। कांग्रेस ने इसे लागू करके दिखाया है तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए।