नई दिल्ली: बाटला हाउस एनकाउंटर के मामले में आज बचाव वकील ने दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर राहुल से जिरह पूरी कर ली है। जिरह के दौरान वकील बचाव वकील ने कुछ ऐसे दावे किये जो इस पूरे घटना पर सवालिया निशान लगा सकते हैं।जिरह के दौरान यह बात अदालत के सामने रखी गई कि एनकाउंटर के समय मारे गए इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की मौत आतिफ या साजिद की गोली लगने से नहीं बल्कि खुद पुलिस की (एक्सीडेंटल फायरिंग) फायरिंग के दौरान हुई।
जिरह में यह भी कहा गया है कि एल-18 से उस रोज़ न तो कोई हथियार, फोटो और न ही कोई दस्तावेज़ बरामद हुई और उसे खुद पुलिस भी साबित नहीं कर पाई। जहाँ तक दो लोगों के भागने का सवाल है तो जिस कमरे में एनकाउंटर हुआ वह चौथी मंजिल पर था और रास्ता में 7 पुलिस कर्मी तैनात थे तो ऐसे में किसी के भागने का सवाल ही नहीं उठता।वकील बचाव के मुताबिक पुलिस ने यह सारी कहानी बनाई थी और यह एनकाउंटर फर्जी था। बाटला हाउस एनकाउंटर के उसी दिन यानी 19 सितंबर 2018 को दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मिस्टर राहुल की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई थी।
अदालत में इससे पहले सरकारी वकील ने मिस्टर राहुल का बयान दर्ज कराया और उनसे सवाल किये थे। इसी संबंध में बचाव वकील एडवोकेट एमएस खान मिस्टर राहुल से जिरह कर रहे थे और आज जिरह पूरी हो गई है। जिरह दौरान एडवोकेट एमएस खान ने अदालत के सामने यह साबित हुई और पुलिस की एक्सीडेंटल फायरिंग में मोहन चंद शर्मा को गोली लग गई थी।