कोर्ट से एक बार फिर योग गुरु रामदेव को झटका लगा है। इस बार दिल्ली हाईकोर्ट ने रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद को टीवी पर साबुन का विज्ञापन नहीं दिखाने का आदेश दिया है। कोर्ट का यह आदेश डिटॉल बनाने वाली कंपनी रेकिट बेनकीजर की ओर से दायर याचिका की सुनवाई के बाद आया है। इससे पहले मुंबई हाईकोर्ट भी पतंजलि साबुन के विज्ञापन पर रोक लगा चुका है ।
याचिका में कहा गया है कि रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद का विज्ञापन डिटॉल ब्रांड की छवि खराब कर रहा है। यह दूसरी बार है जब हाईकोर्ट ने पतंजलि को साबुन का विज्ञापन दिखाने से रोका है। इससे पहले हिन्दुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड भी पतंजलि के इस विज्ञापन पर रोक लगवा चुका है। तब बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगाई थी।
रेकिट बेनकीजर ने याचिका में कहा है कि पतंजलि के विज्ञापन में जो साबुन दिखाया गया है वो शेप, साइज और कलर में डिटॉल साबुन जैसा है । इसके अलावा पतंजलि के एड में डिटॉल को ढिटॉल बताया गया है। रेकिट बेनकीजर के वकील के मुताबिक हाईकोर्ट ने पतंजलि के साबुन पर अंतरिम रोक लगा दी है।
पतंजलि ने शुरू में इस विज्ञापन को यूट्यूब पर अपलोड किया गया था, बाद में इसका कॉमर्शियल एड टीवी पर आने लगा। उन्होंने बताया कि जब इस बारे में पतंजलि को ई-मेल भेजा तो कोई जवाब नहीं आया।
इस विवाद की शुरुआत पतंजलि के उन विज्ञापनों से हुई थी जिसमें हिन्दुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड के साबुन ब्रैंड्स लक्स, पियर्स, लाइफबॉय और डव का नाम न प्रत्यक्ष रूप से ना लेकर घुमाकर उपभोक्ताओं को कहा जा रहा था कि ‘केमिकल बेस्ड साबुनों’ का इस्तेमाल ना करें। और उनकी जगह प्राकृतिक साबुन अपनाएं।
पतंजलि आयुर्वेद का यह विज्ञापन 2 सितंबर से टीवी पर प्रसारित हो रहा था । विज्ञापन में डिटॉल को ढिटॉल बताने के अलावा एचयूएल के पियर्स को टियर्स, लाइफबॉय को लाइफजॉय बताकर लक्स पर निशाना साधा जा रहा था । इतना ही नहीं पतंजलि के ऐड में लाइन थी, ‘फिल्मस्टार्स के केमिकल भरे साबुन न लगाओ।’