मुसलमानों की बढ़ती आबादी की सच्चाई: 2011 जनगणना के हिसाब से मुसलमानों की बढ़ती आबादी में कमी आई

नई दिल्ली: मुसलमानों की बढ़ती आबादी को खतरा बताने वाला बयान एक बार फिर ट्रेंड कर रहा है। राजस्थान में भाजपा के एक विधायक बनवारी लाल सिंह को मुसलमानों की बढ़ती आबादी का डर बेहद सता रहा है। जिससे वह जनता के सामने यह कह गये कि मुसलमान इस देश पर कुछ ही सालों में कब्जा कर लेंगे।

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मामला सिर्फ एक विधायक का नहीं है, बल्कि इस से पहले भी मुसलामानों की बढ़ती आबादी का डर बढ़ाने के बयान आते रहे हैं। अभी हाल ही में जैन धर्म के धार्मिक नेता जैनमनी का ए वीडियो वायरल उया जिसमें इस धार्मिक नेता ने मुसलमानों के घर में ज्यादा बच्चे पैदा होने का रोना रो रहे हैं। इससे पहले भारत के ग्रहमंत्री भी मुसलमानों की बढ़ती आबादी का हवाला देते चुके हैं और आरएसएस के नेता इस तरह के बयान देते रहे हैं।

संघ परिवार से जुड़े नेता मुसलमानों की बढ़ती आबादी पर चिंता व्यक्त करते हैं। कभी उसकी वजह मुस्लिम महिलाओं का दस बच्चे पैदा करना बताया जाता है तो कभी बंगलादेशी दखलंदाजी, बात सिर्फ यहीं खत्म नहीं होती बल्कि कुछ लोग आगे बढ़ कर सिर्फ मुस्लिम आबादी को मुद्दा बताते हैं। वह यह भी कहते हैं कि अगर मुस्लिम की आबादी को नहीं रोका गया तो या हिन्दुओं की आबादी नहीं बढाई गई तो मुसलमानों का देश पर कब्जा हो जायेगा।

आखिर चुनाव के मौके पर ही ऐसे बयान क्यों आते हैं? इन सवालों का जवाब आसानी से मिल सकता है कि अगर 2011 के जनगणना का आंकड़ा बताते हैं कि भारत में हिन्दुओं ही नहीं, बल्कि मुसलमानों, ईसाईयों, बोद्ध, सिखों और जैनों की भी आबादी के बढ़ोतरी की दर में कमी आई है।