गैर समुदाय का शिकार हो रही है लोकतंत्र

आज हमारा देश गणतंत्र दिवस का जश्न मना रहा है। कोई भी देश जो कई वर्षों की गुलामी से आजाद होता है उसके लिए हर मुकाम पर तरक्की करना एक बड़ा चुनौती होता है। भारत ने अंग्रेजों से आजादी हासिल कर ली लेकिन अभी तक बहुत से घरों में लोकतंत्र की खुशबु नहीं पहुंची है। क्या हम लोकतंत्र के 69वीं दिन के मौके पर इसपर गौर करेंगे कि जिस शान से गणतंत्र की परेड राजपथ से गुजरती है, वैसे ही शान देश के करोड़ों लोगों को क्यों नहीं मिल पाई है?

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क्यों हम आज भी गणतंत्र के बावजूद हिस्सों में बनते हुए है? क्यों जात, पात, धर्म, और भाषा के झगड़ों से निपट पायें हैं? जब हम आसपास नजर दौड़ाते हैं तो यह लगता है कि हमारा देश तरक्की के सभी पायदान चढ़ लिए हों। अगर हम तरक्की के नाम पर तरक्की की तलाश करते हैं तो ऐसा लगता है कि हमने तरक्की हासिल कर ली है, लेकिन अगर आप हालिया रिपोर्ट पर नजर डालें तो यह साफ़ हो जाता है कि यह तरक्की सिर्फ कुछ लोगों के घरों में दस्तक दे रही है। लेकिन बेशुमार बहुत से घर ऐसे हैं जिन्हें तरक्की की हवा भी छू नहीं पाई है। अगर कुछ ही लोगों तक तरक्की का फल पहुँच रहा है तो इसे तरक्की नहीं बल्कि स्वार्थी कहा जायेगा।

डॉ. सैयद मुबीन जहरा