मोसुल: ईराकी अधिकारियों का कहना है कि चरमपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट ने मोसुल में अलनूरी मस्जिद को तबाह कर दिया है। लेकिन आईएस की खबर एजेंसी अलअमाक़ का कहना है कि इस मस्जिद को एक अमेरिकी लड़ाकू विमान ने निशाना बनाया है। यह वही प्रसिद्ध मस्जिद है जहां 2014 में अबू बकर अल बगदादी ने खिलाफत का दावा किया था। इस मस्जिद के मीनार का झुकाव एक तरफ था।
बताया जाता है कि यह मस्जिद 800 साल पुरानी थी। 1172 में मोसुल और अलेप्पो के तुर्क शासक नुरुद्दीन महमूद जंगी ने इस मस्जिद के निर्माण का आदेश दिया था।
बीबीसी के मुताबिक़ ईराकी प्रधानमंत्री का कहना है कि मस्जिद उड़ाने का मतलब हार स्वीकार करना है। मोसुल में तैनात इराकी सेना के कमांडर का कहना है कि जिस समय इस्लामिक स्टेट ने मस्जिद पर हमला किया, तब उनके सैनिक 50 मीटर की दूरी पर थे।
अमेरिकी मेजर जनरल जोज़फ़ मार्टिन का कहना था कि ‘यह इराक और मोसुल की जनता के खिलाफ एक अपराध है और यह इस बात का उदाहरण है कि इस संगठन को क्यों नष्ट कर दिया दिया जाना चाहिए।’
उल्लेखनीय है कि इराक और सीरिया में कई ऐतिहासिक सांस्कृतिक स्थलों को नष्ट किया जा चुका है। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि इस्लामिक स्टेट मोसुल में एक लाख नागरिकों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रही है।
हजारों इराकी सुरक्षाबल, कुर्दिश पेशमरगा सेना, सुन्नी अरब आदिवासी और शिया मिलिशिया के सदस्य अमेरिकी सहयोगी बलों के साथ अक्टूबर 2016 से क्षेत्र में आईएस के खिलाफ लड़ रहे हैं। सरकार ने पूर्वी मोसुल को आज़ाद करवा लेने का एलान जनवरी 2017 में किया था, लेकिन शहर के पश्चिमी भाग को आज़ाद कराना थोड़ा मुश्किल साबित हो रहा है।