भैंस पालेगा भारत: दिलीप मंडल

गाय को उसके हाल पर छोड़ दीजिए।
प्लास्टिक और कचरा खाकर जी लेगी।
कुछ साल बाद लोग गाय को कैलेंडर में या गोशाला में ही देख पाएँगे।
जिनकी माँ है, वे संभाल लेंगे।

भारत की दूध क्रांति भैंस के दूध से हुई है। अमूल के संस्थापक वर्गीज़ कुरियन कभी गाय पालने के चक्कर में नहीं पड़े। अमूल भैंस के दूध से चलता है। जब वे गाय का दूध बेचते हैं तो पैकेट पर अलग से “काऊ मिल्क” लिख देते हैं। घी का भी यही हाल है।

भारत में ज़्यादातर लोग भैंस का दूध पीते हैं। गाय के दूध का पावडर मिल्क नहीं बनता।

भैंस की क़ीमत भारतीय नस्ल की गाय से औसतन तीन से चार गुना ज़्यादा है। लेकिन इन्वेस्टमेंट पर रिटर्न भी अच्छा है। कमाई अच्छी है। पशुपालक इसे समझते हैं। इसलिए गाय आउट होती जा रही है।

भैंस को लाने ले जाने में ख़तरा नहीं है। बीमार हो जाए तो आप आसानी से उसे इलाज के लिए ले जा सकते हैं। आपको कोई जान से नहीं मारेगा।

गाय को इलाज कराने ले जाना जानलेवा हो सकता है।

भैंस का चमड़ा उतारने में भी जोखिम नहीं है। यानी मरी हुई भैंस भी अच्छे दाम पर बिकेगी।

भैंस पालेगा भारत।

(नोट- यह लेख वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल की फेसबुक वॉल से लिया गया है, सियासत हिंदी ने इसे अपनी सोशल वाणी में जगह दी है।)