इतना अन्याय सहन करने की क्षमता भारत ने कहाँ से पाई है?

भारतीय न्याय व्यवस्था का सबसे बड़ा मज़ाक़।

शेर सिंह राणा फूलन देवी की हत्या का सजायाफ्ता मुजरिम है। उम्र क़ैद की सज़ा हुई है। एक बार जेल से फ़रार हो चुका है। लेकिन जेल से परोल पर बाहर है।

पिछले सत्तर साल का एक और केस बताइए जब हत्या और जेल ब्रेक के अपराधी को ज़मानत या परोल हुई हो?

ख़ैर, सरनेम का जादू न्यायपालिका के सिर चढ़कर बोल गया।

तिहाड़ से बाहर निकलकर वह सहारनपुर जाता है। वहाँ बीजेपी सांसद के साथ मिलकर ठाकुरों को भड़काता है। दलितों पर हमले में शामिल होता है। शब्बीरपुर में घर, अनाज, मवेशी सब जला देता है।

मध्य प्रदेश में जाकर वह आरक्षण विरोधी रैली को संबोधित करता है। दर्जनों गुंडे बंदूक़ लेकर उसके साथ घूमते हैं।

इतने गंभीर मामलों का अपराधी जेल से बाहर आकर फिर अपराध करता है। सरकार उसे शह देती है और न्यायपालिका क़दमताल करती है।

इतना अन्याय सहन करने की क्षमता भारत ने कहाँ से पाई है?

  • दिलीप मंडल