गुजरात मे दंगे करवाने वालो को श्मशान घाट मिलना चाहिये और फर्जी मुठभेड़ करवानेवालो को कब्रिस्तान में गाड़ दिया जाये। क्या कहना है दोस्तों? और रही बात बिजली की तो गुजरात में बीजली surplus होने का दावा करनेवाली मोदी सरकार के शासनकाल के दौरान 4 लाख से ज्यादा किसानों के खेतिबाड़ी बिजली(agrarian electriciy) के connections (कनेक्शन्स) पेन्डिंग रहे।
इसका नतीजा यह हुआ कि किसानो को बिजली नहीं मिलने के कारण उन्हें डीज़ल इंजन लगाना पड़ रहा है जिसकी वज़ह से किसानो की प्रोडक्शन कॉस्ट 9 परसेंट बढ़ गई। और जब किसान यह मंहगाई का मार नहीं झेल पाये तब उन्होंने आत्महत्या करने की नौबत आई। मोदी जी के शासन के दौरान हजारो की तादाद में गुजरत में किसानों ने आत्महत्या की. लेकिन आत्महत्या करने वाले किसान के एक भी परिवार को मोदी जी की सरकार ने ना ही एक रुपया मुहावज़ा दिया और न कभी उस परिवार से मुलाकात की।
मोदीजी, मरने के बाद देश की जनता को श्मशान मिलेगा या कब्रस्तान उसकी चिंता करने के बजाय इस बात की ओर तनिक ध्यान दीजिये कि जनता को रोटी, कपड़ा और मकान मिले, अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य मिले। लेकिन मोदीजी, आप की छटपटाहट देखकर लगता है कि आप अच्छे दिन की जगह हमें यातो श्मशान देंगे या तो कब्रिस्तान! कभी सोचा नहीं था कि गुजरात का कोई नेता इस कद्र गुजरात की नाक कटवाएंगे।
नोट- यह पोस्ट दलित नेता और ऊना आन्दोलन का नेतृत्व कर चुके जिग्नेश मेवाणी की फेसबुक वॉल से ली गई है। सियासत हिंदी ने इसे अपने सोशल वाणी में जगह दी है।