नई दिल्ली: ऊँची दीवारों और कांटेदार तारों से घिरे तिहाड़ जेल में तीन क़ैदी ऐसे गुज़रे हैं, जिन्हें जेल के उसूलों के मुताबिक उच्च शिक्षाविद माना जाता था। अलगाववादी नेता कोबिड घांडी, संसद पर हमला के कथित आरोपी मोहम्मद अफजल गुरु जिन्हें 9 फ़रवरी 2013 में फांसी दी गई थी और बलात्कार की सज़ा से बरी हुए पिपली लाइव के सह निदेशक महमूद फारूकी।
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जेल में क़ैद के दौरान फारूकी ने समय गुज़ारने और दिमागी सुकून के लिए स्टडी का सहारा लिया। तिहाड़ की लाइब्रेरी में फारूक को विभिन्न किताबों के स्टडी का मौक़ा मिला। इसी बीच गीता सहित महा भारत की कहानियां पढ़ीं और अपने जहन का इस्तेमाल करते हुए महाभारत की उर्दू दास्तान तैयार कर दी।
महमूद फारूकी की गिनती नये नस्ल के उन रचनाकारों में होता है जिन्हें दास्तान गोई की रस्म को जिंदा करने की धुन सवार है। फारूकी उससे पहले कई दास्तान सुना चुके हैं।