केंद्र सरकार ने विकलांगों हज पर नहीं जाने देने की वजह बताई, कहा- ‘भीख मांगने लगते हैं कई लोग’

केंद्र सरकार ने शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को हज पर जाने की इजाजत न देने की वजह बताई है। सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल एक हलफनामे में बताया, ‘यह फैसला उन घटनाओं की वजह से लिया गया, जिनमें कई लोग भीख मांगने की गतिविधियों में लिप्त पाए गए। भीख मांगना सऊदी अरब में प्रतिबंधित है।’

केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने यह हलफनामा अदालत में दिया है। इसके मुताबिक, 2012 में जेद्दा स्थित भारतीय कौंसलुट जनरल ने ‘स्क्रीनिंग’ की सलाह दी थी। दिलचस्प बात यह है कि सऊदी अरब ने खुद इस तरह का कोई बैन नहीं लगाया है। इस देश ने तो बुर्जुगों और दिव्यांगों के लिए सुविधाओं को और बढ़ाया है।

बुधवार को इस मामले पर अदालत में सुनवाई हुई। कार्यकारी चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस हरिशंकर की बेंच की ओर से दिए गए नोटिस पर मंत्रालय ने यह जवाब दाखिल किया। कोर्ट ने यह नोटिस उस याचिका पर सुनवाई करते हुए भेजा था, जिसमें 2018-2022 की हज पॉलिसी को चुनौती दी गई है।

इस पॉलिसी के तहत, दिव्यांगों को भारतीय हज कमिटी की ओर से करवाई जाने वाली यात्रा में जाने पर रोक है। इस मामले में याचिकाकर्ता गौरव कुमार बंसल सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट हैं।

उनका कहना है कि यह पॉलिसी दिव्यांगों के अधिकारों से जुड़ी राइट्स ऑफ पर्सन्स विद डिसेबिलिटीज (RPWD) एक्ट 2016 का उल्लंघन करती है। इसके अलावा, यह संविधान में दिए गए अधिकारों का भी हनन है। याचिकाकर्ता ने पॉलिसी में दिव्यांगों के लिए इस्तेमाल की गई भाषा पर भी सवाल उठाए थे।

बता दें कि दिसंबर 2017 में इस पॉलिसी को लेकर दिव्यांगों के हित में काम करने वाली संस्थाओं के फूटे गुस्से पर द इंडियन एक्सप्रेस ने खबर प्रकाशित की थी।

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने संशोधित 2018-2022 हज पॉलिसी में न केवल दिव्यांगों की हज यात्रा पर रोक लगाने वाले विवादित क्लॉज को बनाए रखा, बल्कि आपत्तिजनक भाषा को भी नहीं बदला।

उस वक्त अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आपत्तिजनक लाइनों को मंत्रालय की वेबसाइट से हटाने के निर्देश दिए थे। हालांकि, बैन को जारी रखा गया था।