जिला अधिकारीयों ने खोली चुनाव आयोग की तारीख़ों के एलान में देरी की पोल : गुजरात विधानसभा चुनाव

गांधीनगर: गुजरात विधानसभा चुनाव  की तारीख़ों के एलान में देरी पर चुनाव आयोग ने दलील दी है कि राज्य में बाढ़ के बाद राहत से जुड़़े कामों की वजह से अभी ऐलान नहीं किया गया है जब की 8 ज़िलों के अधिकारियों से बात की गई तो कई सच सामने आए चुनाव आयोग ने पहले पांच ज़िलों में बाढ़ की बात कही थी लेकिन बाढ़ राज्य में बाढ़ से प्रभावित जिलों की संख्या सात है.  साबरकांठा जिले के बाढ़ राहत अधिकारी ने बताया कि बाढ़ नहीं यहां सिर्फ भारी बारिश हुई थी और राहत का काम काफी पहले हो चुका है. मेहसाणा जिले में बाढ़ से बुरे हालात नही हैं. राहत का काम पूरा हो चुका है. अब सिर्फ एक ही तहसील का काम बाकी रह गया है.

सुरेंद्र नगर जिले के आपदा प्रबंधन अधिकारी नीलेश जी  ने बताया कि उनके जिले में बाढ़ नहीं आई थी लेकिन भारी बारिश हुई थी. जुलाई में ही राहत काम पूरा कर लिया गया था. मोरबी जिले के आपदा मामलों से जुड़े अधिकारी एसएस डोडिया ने बताया कि कुछ राहत का काम बाकी है. बनासकांठा की आपदा प्रबंधन अधिकारी रोमिला बेन पटेल ने कहा कि राहत का काम पूरा हो गया है. बाढ़ से नुकसान का सर्वे जारी है. मुआवजा देने का काम भी अंतिम दौर में है.

पाटन जिले के आपदा प्रबंधन से जुड़े तहसीलदार  ने कहा कि 99 फीसदी का काम पूरा हो गया है. मुआवजा देने का काम भी पूरा हो गया है. वहीं अरावली जिले के आपदा प्रबंधन के प्रभारी हितेश रावल का कहना है कि जिले में बाढ़ नहीं आई थी. बारिश के बाद जो राहत का काम शुरू किया गया था वह पूरा हो चुका है. राजकोट जिले के कलेक्टर डॉ. विक्रांत पांडेय ने बताया कि सिर्फ एक तालुका में बाढ़ आई थी. हालत गंभीर नहीं है. राहत का काम भी लगभग खत्म हो चुका है.

वहीं कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि चुनाव आयोग बीजेपी के इशारे पर काम करा है ताकि वहां इस बीच ज्यादा से ज्यादा लोकलुभावन योजनाओं की घोषणा की जा सके.

गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने हिमाचल प्रदेश के साथ गुजरात चुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं की थी. जबकि दोनों राज्यों में चुनाव एक साथ ही होते रहे हैं. जिससे आयोग की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं