DM साहब खातून IAS को फाइलें लेकर रात के दो बजे बुलाते थे

लखनऊ: गोरखपुर के डीएम रंजन कुमार पर एक जूनियर खातून आईएएस अफसर ने इस्तेहसाल के संगीन इल्ज़ाम लगाया हैं। इल्ज़ाम है कि इस सीनीयर अफसर खातून को रात दो बजे फाइलें देखने के लिए बुलाते थे और उससे घर में खाना बनाने को कहते थे। यह मामला चीफ सेक्रेटरी से लेकर तकर्रुरी के सेकेटरी तक पूरी की पूरी नौकरशाही की मालूमात में आ चुका है।

सीनियर आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर और उनकी सामाजी कारकुन शरीक ए हयात नूतन ठाकुर ने माना है कि खातून अफसर ने उनसे मिलकर अफसर की बदनीयती का पूरा किस्सा बयां किया है। एक दूसरे चीफ सेक्रेटरी और गैर सरकारी तंज़ीम वास्ट के खालिक एसपी सिंह ने भी मामले पर फिक्र जताया है। पिछले कई दिन से इस मामले की दबी जुबान में चर्चा हो रही थी। इसके बाद एक अखबार ने इस पूरे मामले की पडताल की।

अखबार के रिपोर्टर ने दावा किया है कि उसने वह रिकॉडिंग भी सुनी है, जिसमें मुतास्सिरा ने रंजन कुमार पर संगीन इल्ज़ाम लगाए हैं। 2012 बैच की इस शादीशुदा आफीसर ने बताया है कि उससे यहां तक कहा गया है कि तुम्हें शहर में तैनाती इसीलिए दी गई है ताकि तुम्हारा चेहरा मेरे सामने रहे। डीएम साहब इस अफीसर खातून को एक-दो बार फिल्म दिखाने तक ले गए।

खातून अफसर का कहना है कि जब उन्हें सीनियर की नीयत का अंदाजा हुआ तो एहतिजाज और अनदेखी शुरू की, इससे वह नाराज हो गए। इसके बाद मुतास्सिरा छुट्टी पर चली गई। इससे नाराज होकर जब उसका देही इलाके में ट्रांसफर किया गया तो उन्होंने इसकी तहरीरी शिकायत एसएसपी गोरखपुर से की लेकिन बाद में एक सीनियर अफसर की सलाह पर उसे वापस ले लिया।

अब मामले की शिकायत सामाजी कारकुन नूतन ठाकुर ने वज़ीर ए आला अखिलेश यादव से की है। एसडीएम ने भी पूरा मामला सरकार के आला अफसरों को बता दिया है। सामाजी कारकुन नूतन ठाकुर और उनके शौहर आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने बताया कि ट्रेनी आईएएस उनकी पहचान की है। जब अमिताभ आईआईएम लखनऊ में साल 2009-2011 में एमबीए की पढाई कर रहे थे, तब यह ट्रेनी भी उनसे कुछ सलाह लिया करती थी। दोनों ने ट्रेनी आईएएस से बात भी की और मामले को सही पाया।

आईजी अमिताभ ठाकुर का कहना है कि इसके बाद उन्होंने मामले को सीएम तक पहुंचाने का मन बना लिया है। उन्होंने मांग की है कि मामले की खुफिया जांच करवाई जाए और अगर यह इल्ज़ाम डीएम के खिलाफ सही पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाए। मामले में गोरखपुर डिविजन के कमिश्नर और एसएसपी ने कुछ भी बोलने से इनकार किया है। बुध के रोज़ ट्रेनी आईएएस अपने शौहर के साथ चीफ सेक्रेटरी तकर्रुरी से भी बंद कमरे में मिलीं।

बाहर निकलने पर उन्होंने कोई भी बात करने से इनकार कर दिया। वहीं, गोरखपुर कलेक्ट्रेट में भी चल रही चर्चा में डीएम साहब पर लगे इल्ज़ामात को सही बताया जा रहा है।

ज़राये से मिली जानकारी के मुताबिक, मुतास्सिरा ने डिविजन के एक दिगर सीनियर अफसर से भी शिकायत की है। उस आफीसर ने माना कि डीएम का रवैया ठीक नहीं है और कहा कि मुतास्सिरा उनकी बेटी की तरह है, इसलिए उनकी सलाह है कि मामले को रफा-दफा कर तनाज़ा से बचा जाए। हालांकि गोरखपुर के डीएम रंजन कुमार ने उन पर लगे इल्ज़ामात को सिरे से खारिज कर दिया है।

उनका कहना है कि पूरा मामला गलत है। इसे बेवजह तूल दिया जा रहा है। मीडिया को मालूम नहीं क्यों पर्सनल मामले में दिलचस्पी है! आज भी मेरे पास कई फोन आ रहे हैं। वे लोग चीफ सेक्रेटरी तकर्रुरी के पास सिर्फ अपने ट्रांसफर के बारे में पता करने गए थे और कहा जा रहा है कि शिकायत करने गए थे।

वे मगरिबी बंगाल से आए हैं और लखनऊ के आसपास तैनाती चाहते हैं। छेडछाड या किसी और तरह की पूरी बात ही गलत है।

अफसरों पर छेडखानी के आरोप पहली बार नहीं लगे हैं। कानपुर में तैनात आईपीएस संजीव त्यागी पर भी खातून अफसर ने छेडछाड के इल्ज़ामात लगाए थे। पूरे मामले की जांच के बाद उन पर एक्शन लिया गया और डीजीपी हेड्क्वार्टर से मुंसलिक कर दिया गया। इसके साथ ही मेरठ के डीआईजी डीपी श्रीवास्तव पर भी उनकी खातून साथी ने छेडछाड का इल्ज़ाम लगाया था। हालांकि उन पर कोई एक्शन नहीं लिया गया।