क्या आप दुरूद शरीफ़ पढ़ने की फ़ज़ीलत जानते है?

मफ़हूम -ए -हदीस -अबू हुरैरा रज़ी अल्लाहू अन्हु ने कहा की अल्लाह के रसूल सल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया की जो सख्श मुझ पर एक बार दुरूद शरीफ भेजेगा अल्लाह तअला उस पर 10 मर्तबा रेहमत उतरेगा और उस के 10 गुनहा मॉफ फरमाएगा और 10 दर्जे बुलंद फरमाएगा।

दुरूद शरीफ़ गुनाहों का कफ्फारा है।

दुरूद शरीफ़ से अमल पाक होता है।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने से दर्जात बुलंद होते है।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने के लिए एक कीरात अज्र लिखा जाता जो कि उहद पहाड़ जितना होता है, अल्लाह त आला के हुक्म की तामील होती है, दुआ से पहले दुरूद शरीफ पढने से दुआ की कुबूलियत का सबब है।

दुरूद शरीफ पढना नबी ए रहमत (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम)
की शफ़ा अत का सबब है।

दुरूद शरीफ़ के जरिये अल्लाह बन्दे के ग़मों को दूर करता है।

दुरूद शरीफ तंग दस्त के लिए सदक़ा का जरिया है।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले को पैमाने ने भर भर के सवाब मिलता है।

दुरूद शरीफ क़ज़ा ए हाजात का जरिया है।

दुरूद शरीफ अल्लाह की रहमत और फिरिश्तो की दुआ का बा इस है।

दुरूद शरीफ अपने पढ़ने वाले के लिए पाकीजगी और तहारत का बा इस है।

दुरूद शरीफ पढ़ना क़ियामत के ख़तरात से निज़ात का सबब है।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने का सवाब गुलाम आजाद करने से भी अफज़ल है।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाला हर किसम के खौफ़ से निज़ात पता है।

वाली ए दो जहाँ नबी (सल्ल्लाहु अलैहि व सल्लम) दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले के ईमान की खुद गवाही देंगे।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले पर आक़ा ऐ दो जहाँ की शिफा’अत वाजिब हो जाती है।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले के लिए अल्लाह त’ आला की रिज़ा और रहमत लिख दी जाती है |
अल्लाह त’आला के ग़ज़ब से अमन लिख दिया जाता है।

उस की पेशानी पे लिख दिया जाता है कि यह निफ़ाक़ से बरी है।

लिख दिया जाता है यह भी कि यह दोज़ख (जहन्नम) से बरी है।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले को रोज़े हश्र अर्शे-इलाही के नीचे जगह दी जाएगी।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले की नेकियौं का पलड़ा वज़नी होगा।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले के लिए जब वोह हौज़े कौसर पर जायेगा तब खूसूसी इनायत होगी |
दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाला क़यामत के दिन सखत प्यास से अमान में जायेगा।

वह पुल सिरात से तेज़ी और आसानी से गुजर जाएगा।

पुल सीरत पर उसे नूर अता होगा।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाला मौत से पहले अपना मुकाम जन्नत में देख लेता है।

दुरूद शरीफ़ की बरकत से माल बढ़ता है।

दुरूद शरीफ़ पढ़ना इबादत है।

दुरूद शरीफ़ पढ़ना अल्लाह त’आ ला को हमारे सब अमलों से ज़यादा प्यारा है |
दुरूद शरीफ़ पाक मजलिसों की ज़ीनत है।

दुरूद शरीफ़ पाक तंगदस्ती को दूर करता है।

जो दुरूद शरीफ़ पढ़ेगा वह रोज़े हशर मदनी आक़ा (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के सब से ज़यादा करीब होगा।

दुरूद शरीफ़ अगर पढ़ कर किसी मरहूम को बख्शा जाये तो उसे भी नफा देता है।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने से अल्लाह त’ आला और उसके हबीब का क़ुर्ब (क़रीबी) नसीब होता है |
दुरूद शरीफ़ पढ़ने से दुश्मनों पर फतह और नुसरत हासिल होती है।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले का दिल ज़ंग से पाक हो जाता है।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले शख्श से लोग मोहब्बत करते है।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाला लोगों की गीबत से महफूज़ रहता है।

सब से बड़ी निअ’मत दुरूद शरीफ़ पढ़ने की यह है के उसे खवाब में प्यारे प्यारे आक़ा (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की ज़ियारत होती है जुज़ब अल – क़लुब में निम्मे लिखित फ़ज़ा इल बयान है।

एक बार दुरूद शरीफ़ पढ़ने से १० गुनाह माफ़ होते है १० नेकीयाँ मिलती हैं १० दर्जे बुलंद होते हैं १० रहमतें नाज़िल होती हैं।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले की दुआ हमेशा क़ुबूल होती है।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले का कंधा (शोल्डर) जन्नत के दरवाज़े पर नबी (सल्ल्लाहु अलैहि व सल्लम) के कंधे मुबारक के साथ छु (टच) जायेगा, सुबहानल्लाह।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाला कयामत के दिन सब से पहले आक़ा (सल्ल्लाहु अलैहि व सल्लम) का पास पहुँच जायेगा।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले के सारे कामों के लिए क़यामत के दिन इनायत होगी।

दुरूद शरीफ़ पढ़ना दुनिया और आखिरत के हर दर्द व ग़म का वाहिद इलाज़ है।

दुरूद शरीफ़ रूहानियत के खजाने की चाबी है।

दुरूद शरीफ़ आशिकों की मिअराज है।

दुरूद शरीफ़ पढ़ना मुनाफा ही मुनाफा है और यह मुनाफा दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले को जन्नत तक पहुंचा देता है।

दुरूद शरीफ़ पाक अल्लाह त आ ला की नाराज़गी से बचने का आसान अमल है।

दुरूद शरीफ़ एक ऐसी इबादत है जिसका फ़ायदा उसी की तरफ लौटता है जो इसको पढ़ता है।

दुरूद शरीफ़ पढ़ना ऐसा है कि जैसा अपनी ज़ात के लिए दुआ करना है।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाला रूहानी तौर पर तर्बियते मुहम्मद (सल्ल्लाहु अलैहि व सल्लम) में होता है।

दारूत की कसरत करना अहल – इ-सुन्नत की अलामत है।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाला हर मजिलस में ज़ैब व ज़ीनत हासिल करता है।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले को बरोज़े हश्र में जन्नत की रहे खुली मिलेंगी, इन्शा अल्लाह।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले के बदन से खुशबू आया करेगी।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले को हमेसा नेकी करने की खवाहिश रहा करेगी।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले का नाम बारगाहे रिसालत में लिया जायेगा।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाला मरने तक ईमान पर काइम रहेगा।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले के लिए ज़मीन व आसमान वालो की दुआएं वक़फ रहेंगी।

दुरूद शरीफ़ पाक पढ़ने वाले को ज़ात में अमल में उम्र में औलाद में और माल व असबाब में बरकत होगी जिसके ४ पुश्तों तक आसार ज़ाहिर होंगे।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले का घर रोशन रहेगा।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाला का चेहरा पुरनूर और गुफ्तार में हलावत (मिठास) होगी।

दुरूद शरीफ पढ़ने वाले की मजलिस में बेठने वाले की मजलिस में लोग खुश होगे।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले की दावत का सवाब १० गुने होगा।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाला फ़रिश्तों का इमाम बनेगा।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाला हुजुर की कौल व फअल की इत्तिबा करेगा।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाला हमेशा नेक हिदायत हासिल करेगा।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले थोड़े ही अर्से में धनी हो जाता है।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाला दुनिया में मारूफ हो जाता है।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाला शख्श की जुबान से मैदाने हशर में नूर की किरणें निकलेंगी।

दुरूद शरीफ़ से आँखों को नूर मिलता है।

दुरूद शरीफ़ से सेहत बरक़रार रहती है।

दुरूद शरीफ़ से आक़ा की मोहब्बत का जज़्बा और बढ़ता है।

दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले को किसी की मुहताजी न होगी।

दुरूद शरीफ पढ़ने से बन्दे को भूली हुवी बात याद आ जाती है।

यह अमल बन्दे को जन्नत के रस्ते पर डाल देती है।

दुरूद शरीफ पढ़ने की वजह से बंदा आसमान और ज़मीन में काबिले तारीफ हो जाता है।

दुरूद शरीफ पढ़ने वाले को इस अमल की वजह से उसकी ज़ात, अमल, उम्र और बहतरी के असबाब में बरकत हासिल होती है।

दुरूद शरीफ पढ़ने वाले से आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम मुहब्बत फ़रमाते हैं।
जो शख्श दुरूद शरीफ़ को ही अपना वजीफ़ा बना लेता है अलाह पाक उसके दुनिया और आखिरत के काम अपने ज़िम्मे ले लेता है।