डॉ. कफील बोले- मुझे धर्म के साथ न जोड़ें, मैं एक भारतीय हूँ, मरीज़ों की देखभाल करना मेरा फ़र्ज़

उत्तर प्रदेश: गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अस्पताल प्रशासन और राज्य सरकार की लापरवाही के कारण 24 घंटे के अंदर  30 मासूमों की मौत हो गई।

अस्पताल में ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं थी, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने इस पर गौर करना जरुरी नहीं समझा। रअसल मेडिकल कॉलेज द्वारा ऑक्सीजन आपूर्ति करने वाली फर्म को बकाया 69 लाख रुपया अदा नहीं करने पर फर्म ने आपूर्ति ठप कर दी।

जिसके चलते दो दिनों के अंदर 33 बच्चों की मौत की घटना ने पूरे शासन-प्रशासन को हिला दिया है।

इस पूरी घटना में इंसेफेलाइटिस के विशेषज्ञ बीआरडी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर कफील खान ने बच्चों को बचाने की जोरदार कोशिशें की।

वह कर्मचारी को लेकर बाईक से एसएसबी के डीआईजी के पास गए। वहां डीआईजी एसएसबी ने तत्काल उन्हें 10 ऑक्सीजन सिलेंडर दे दिए।

इसके साथ उन्होंने एक ट्रक भी भेजा जिससे कि कॉलेज प्रशासन दूसरी जगहों से ऑक्सीजन सिलेंडर मंगा सके।

इस घटना के बाद लोग डॉ. कफील अहमद को मसीहा के रूप में देख रहे हैं। लेकिन मीडिया से बात करते हुए उन्होंने लोगों से आग्रह किया है कि उन्हें मसीहा न कहा जाये और किसी भी धर्म के साथ जोड़ कर न देखा जाये।

मैं पहले एक भारतीय हूँ और ये मेरा फर्ज था।  मेरे साथ मेरा पूरा डिपार्टमेंट मरीजों की मदद में लगा रहा। सभी डॉक्टर मरीजों की देखभाल कर रहे थे। उन्होंने कहा डॉक्टर कफील का अर्थ मददगार होता है इस बात पर इसका श्रेय उन्होंने अपने अम्मी-अब्बू को दिया।